ऐसी है जानकारी

इनको लेकर बताया गया है कि बृजमोहन ने कारोबार में सक्रिय भूमिका इस साल की शुरुआत से ही छोड़ दी थी। इसके बाद वह चार अरब डॉलर वाले हीरो समूह के मानद चेयरमैन बन गए थे। हीरो मोटोकॉर्प के बोर्ड में भी वह एक गैर-कार्यकारी सदस्य की भूमिका में थे। हीरो ग्रुप औपचारिक रूप से 1956 में अस्तित्व में आया था, मगर उसने बीती शताब्दी के चौथे दशक में ही साइकिल निर्माता के रूप में अपनी गतिविधियां शुरू कर दी थीं।

साइकिल के पुर्जे बनाने से की थी शुरुआत

बताया गया है कि अब इसको चारों मुंजाल भाई चला रहे थे। भारत को आजादी मिलने के बाद चारों भाई लुधियाना आ गए थे। यहीं से इन भाइयों ने साइकिल के पुर्जे बनाने की शुरुआत की थी। आगे चलकर इसी छोटे से कारोबार को देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में से एक बना डाला।

ऐसे रहे कार्य

बृजमोहन लाल मुंजाल ने हीरो ग्रुप को कई मायनों में पहले पायदान पर पहुंचा दिया। यह उन्हीं की दूरदर्शिता का नतीजा है कि आज हीरो मोटोकॉर्प लगातार 14वें साल दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया कंपनी बनी हुई है। उनकी ही अगुआई में ही वर्ष 1984 में जापानी कंपनी होंडा के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी के रूप में हीरो होंडा अस्तित्व में आई थी। हालांकि, बाद में होंडा से 2011 में अलगाव हो गया। समूह की दूसरी कंपनी हीरो साइकिल्स वर्ष 1986 से सबसे बड़ी साइकिल निर्माता है।

2005 में नवाजा गया था पद्म भूषण से

व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए 2005 में मुंजाल को साल 2005 में पद्म भूषण से भी नवाजा गया था। इसके अलावा वह सीआईआई, सियाम, पीएचडी चैंबर जैसे कई उद्योग संगठनों के भी अगुआ रहे। उन्होंने दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, लुधियाना स्टॉक एक्सचेंज और लुधियाना एविएशन क्लब जैसी कई संस्थाओं की भी स्थापना की।

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