हाई कोट ने कहा, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की एसटीएफ जांच विशेषाधिकार का हनन नहीं

एसटीएफ की कार्रवाई रोकने के लिए दाखिल याचिका दो जजों की बेंच ने की खारिज

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एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 के पेपर लीक प्रकरण की एसटीएफ जांच जारी रहेगी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को एसटीएफ द्वारा मांगे गये दस्तावेजों को सौंपना ही होगा। यह गुरुवार को प्रकरण की जांच रोकने को लेकर दाखिल याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद क्लीयर हो गया है। कोर्ट ने कहा कि भर्तियों में सुचिता का मामला है और इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता।

आयोग ने बताया था विशेषाधिकार हनन

बता दें कि पेपर लीक प्रकरण में यूपी एसटीएफ ने सनसनीखेज खुलाया किया था। परीक्षा के लिए पेपर छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को गिरफ्तार करने के बाद एसटीएफ ने बताया था कि पेपर से एक दिन पहले ही प्रश्न पत्र सौदा करने वाले अभ्यर्थियों को दे दिया गया था। इन मामले में इनवाल्व लोगों के गिरेबां तक एसटीएफ के हाथ पहुंचे तो आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार भी सवालों के घेरे में आ गयीं। एसटीएफ ने उन्हें आयोग प्रिमाइस से ही गिरफ्तार करके वाराणसी की कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद एसटीएफ ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए आयोग से कुछ दस्तावेजों की मांग की थी। इसके खिलाफ आयोग ने हाई कोर्ट की शरण ली और इसे विशेषाधिकार हनन का मामला बताते हुए जांच रोकने का आग्रह किया।

घपले की जांच जनहित का मामला

जस्टिस जेजे मुनीर तथा अनिल कुमार की खंडपीठ ने यूपीपीएससी के सचिव की ओर से दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद फैसला दिया। शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार पाल, अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र व दीपक मिश्र ने सरकार की ओर से बहस की। कोर्ट ने कहा है कि घपले की जांच जनहित का मामला है, जिस पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से स्पष्ट है कि आयोग में सब कुछ सही नहीं है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए, जिससे आयोग की विश्वसनीयता कायम रखी जा सके। इस पर यूपीपीएससी ने कोर्ट में स्वीकार किया कि वह दस्तावेज दिखा सकते हैं, ताकि गोपनीयता सार्वजनिक न होने पाए।

कई भर्ती परीक्षाओं की शुचिता संदिग्ध है। ऐसे में एसटीएफ की कार्यवाही पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट