हाई कोर्ट ने कहा, स्थाई पट्टा माइंस मिनरल्स रेग्युलेशन डेवलपमेंट एक्ट 1957 के प्रावधानों के खिलाफ

सरकार को नए सिरे से पट्टों के आवंटन का आदेश, 1969 से अब तक की रॉयलिटी वसूली का आदेश

ALLAHABAD: हाईकोर्ट ने इलाहाबाद के शंकरगढ़ के 46 गांवों में फैले खनिज पट्टों पर से रानी शंकरगढ़ राजेन्द्र कुमारी की दावेदारी समाप्त कर दी है। दो जजों की पीठ ने सिविल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सरकार की अपील स्वीकार कर ली और उक्त आदेश पारित किया। अपील पर अपर महाधिवक्ता अशोक पांडेय व रमेश यादव ने बहस की।

सिविल कोर्ट का फैसला पलटा

पट्टे की जमीन पर रानी का कब्जा रहेगा अथवा यह सरकार के पास चला जाएगा? यह विवाद लम्बे समय से चल रहा है। जमींदारी उन्मूलन एक्ट के उपबन्धों के आधार पर सरकार की ओर से दावेदारी थी। मामला पहले सिविल कोर्ट में चला। कोर्ट ने दो जुलाई 1997 को रानी साहिबा के पक्ष में आदेश देते हुए 46 गांवों में फैले खनन पट्टों में हस्तक्षेप व रानी शंकरगढ़ के कब्जे में दखल देने से प्रदेश सरकार को रोक दिया था। सरकार ने सिविल जज के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

खनन की रॉयलिटी वसूले सरकार

सरकार की अपील मंजूर करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार से कहा है कि वह रानी शंकरगढ़ से दावे की तारीख (1769) से अथवा उससे पहले से रानी द्वारा किए सिलिका सैंड के खनन की रायल्टी वसूल करे। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह रायल्टी की वसूली निर्धारित दर से ही करे। कोर्ट ने इसे और स्पष्ट करते हुए अपने आदेश में कहा कि यदि दर का निर्धारण नहीं हो पा रहा है तो इसे नौ प्रतिशत वार्षिक की दर से वसूला जाए। कोर्ट ने उन सभी 46 गांवों का खनन पट्टा नए सिरे से आवंटिन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि रानी साहिबा के पक्ष में 16.4.1947 व 27.4.59 को किया गया पट्टा स्थायी पट्टा था जो कि माइंस मिनरल्स रेग्युलेशन डेवलपमेंट एक्ट 1957 के प्रावधानों के खिलाफ है, इसलिए इसे शून्य घोषित किया जाता है। कोर्ट ने उनके द्वारा किए जा रहे खनन को अवैध घोषित कर दिया।