- यूजीसी ने पीएचडी प्रोग्राम के तहत निर्धारित किया नियम

- आयोग ने सभी यूनिवर्सिटी-कॉलेजों को जारी किया सर्कुलर

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DEHRADUN: रिटारमेंट के बाद अब टीचर्स पीएचडी प्रोग्राम्स में बतौर गाइड स्कॉलर्स का मार्गदर्शन नहीं कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने पीएचडी को लेकर जारी की गई गाइडलाइन में इस पर रोक लगा दी है। आयोग के मुताबिक अब रिसर्च स्कॉलर्स केवल यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ा रहे टीचर्स को ही अपना गाइड बना सकेंगे। आयोग ने इसे लेकर सभी संस्थानों को सर्कुलर भी जारी कर दिया है।

ख्00 दिन रिसर्च सेंटर आना अनिवार्य

आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक अब एक टीचर म् की जगह 8 रिसर्च स्कॉलर्स को अपना मार्गदर्शन प्रदान कर सकेंगे। जारी की गई गाइडलाइन के हिसाब से साल ख्0क्8 में पीएचडी प्रोग्राम में एनरोल होने वाले स्कॉलर्स पर यह नियम लागू होगा। इससे पहले प्रोग्राम में रजिस्टर हुए कैंडिडेट्स को इस नियम में छूट दी गई है। नए नियम के मुताबिक रिसर्च स्कॉलर चार साल के बजाए छह साल में पीएचडी पूरा कर सकते हैं। इसके साथ ही कोर्स के अलावा रिसर्च सेंटर में अब पीएचडी करने की अवधि के दौरान ख्00 दिन आना अनिर्वाय कर दिया गया है। इतना ही नहीं आयोग ने फीस आदि जमा करने की सभी व्यवस्था को भी ऑनलाइन कर दिया है।

गुणवत्ता को बढ़ाने को लिया निर्णय

आयोग का मानना है कि इस कदम से रिसर्च क्षेत्र में ट्रांसपेरेंसी आने के साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। अभी तक जहां रिसर्च स्कॉलर अपने हिसाब से पसंद के रिटायर्ड टीचर्स को अपना गाइड मना लेते थे और अपने हिसाब से महज खानापूर्ती के लिए कागजी कार्रवाई पूरी करने का कार्य करते थे। लेकिन अब ऐसा करना संभव नहीं होगा। ख्00 दिन रिसर्च सेंटर में रहना अनिवार्य करने से अब कैंडिडेट्स रिसर्च में खेल नहीं कर सकेंगे।

तीन बार मिलेगा अवसर

रिसर्च स्कॉलर्स को प्री सबमिशन सेमिनार में प्रस्तावित शोध विषय की भी अब गहन समीक्षा की जाएगी जिसके बाद शोध को आगे करने के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी। तीन बार शोध का सिनॉप्सिस पारित नहीं होने पर ऐसे कैंडिडेट्स को पीएचडी में रजिस्ट्रेशन के लिए अनुमति नहीं मिल पाएगी। शोध करने वालों को अपना सिनॉप्सिस डीआरसी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। शोध के प्रारूप पर तीन बार से अधिक विचार नहीं किया जाएगा। यदि शोध प्रारूप को पंजीयन के लिए नहीं पारित किया जाएगा तो ऐसे शोधार्थियों के सिनॉप्सिस पर विचार नहीं किया जाएगा।

रिसर्च को लेकर आयोग को कई शिकायतें मिल चुकी हैं। कई मामलों में रिसर्च स्कॉलर्स सिर्फ खानापूर्ती के लिए पीएचडी में गाइड बना लेते हैं और पूरी अवधि के दौरान रिसर्च को लेकर गंभीर भी नहीं रहते। अब ऐसा करना मुश्किल होगा। आयोग के नए नियम गुणवत्ता को बढ़ावा देंगे।

--- प्रो। वीए बौड़ाई, प्रिंसिपल, एसजीआरआर पीजी कॉलेज