यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़र्ड के इस शोध में कहा गया है कि हर चार इंच (10 सेंटीमीटर) पर कैंसर का ख़तरा 16 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। दस लाख से अधिक महिलाओं पर किए गए शोध के नतीजे लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

इसमें कहा गया है कि जो रसायन लंबाई बढ़ाने में सहायक होते हैं वही कुछ ट्यूमर को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि कैंसर रिसर्च, यूके ने कहा है कि इस शोध की वजह से लंबे लोगों को घबराने की ज़रुरत नहीं है।

शोध

ब्रिटेन में किए गए इस अध्ययन में 1996 से 2001 के बीच अधेड़ या मध्यवय की 13 लाख महिलाओं को शामिल किया गया। जिन दस सामान्य कैंसरों को लंबाई से जोड़ा गया है उनमें मलाशय, गुदा संबंधी, वक्ष, मूत्राशय, गर्भाशय और यकृत के कैंसर के अलावा ल्यूकेमिया यानी अधिश्वेत रक्तता को शामिल किया गया है.Cancer

शोध के अनुसार जो सबसे 5.9 फ़ुट के या उससे लंबे हैं उन्हें लंबे लोगों की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें पाँच फ़ुट से कम ऊँचाई वाले लोगों की तुलना में कैंसर होने का ख़तरा 37 प्रतिशत अधिक है।

हालांकि ये शोध सिर्फ़ महिलाओं के बीच किया गया है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबाई से कैंसर होने का यह ख़तरा पुरुषों में भी है। इसके लिए उन्होंने दस अन्य अध्ययन के नतीजों को भी जोड़ा है और कहा है कि पुरुषों में भी लंबाई का संबंध कैंसर के ख़तरे से हैं।

कारणों का पता नहीं

डॉ जेन ग्रीन ने इस अध्ययन दल का नेतृत्व किया था। उन्होंने बीबीसी को बताया, "यक़ीनन सिर्फ़ लंबाई से कैंसर को प्रभावित नहीं किया जा सकता, लेकिन हो सकता है कि ये किसी और चीज़ को प्रभावित करता हो."

वैज्ञानिक मानते हैं कि कई तरह के कैंसर के बीच एक संबंध है और हो सकता है कि उनके पीछे एक साझा प्रक्रिया हो। वे मानते हैं, हालांकि अभी यह साबित नहीं हुआ है, कि हार्मोन में बढ़ोत्तरी इसकी एक वजह हो।

जब लंबाई बढ़ने की दर अधिक होती है तो दो बातें हो सकती हैं। एक तो ये कि लंबे लोगों के शरीर में ज़्यादा उत्तक होते हैं, इनमें से कुछ ट्यूमर में तब्दील हो जाते हों।

दूसरा ये कि लंबाई तेज़ी से बढ़ने की वजह से उत्तकों के विभाजन की दर बढ़ जाती हो और इसकी वजह से कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता हो। लेकिन डॉ ग्रीन का कहना है, "हम इस समय इसकी वजह नहीं जानते."

लेकिन कैंसर रिसर्च, यूके की सारा हिओम का कहना है, "इन नतीजों से लंबे लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। ज़्यादातर लोगों की लंबाई औसत लंबाई से अधिक या कम नहीं होती और किसी की भी लंबाई उसे कैंसर होने के ख़तरों में छोटी सी ही भूमिका अदा करती है."

ब्रेकथ्रू ब्रेस्ट कैंसर संस्था की पॉलिसी मैनेजर डॉ कैटलीन पालफ्रामैन का कहना है, "बड़ा सवाल ये है कि लंबाई और कैंसर के ख़तरे के बीच संबंध क्यों है। यदि हमे ये पता चल सके कि लंबाई बढ़ने से कैंसर का ख़तरा क्यों बढ़ता है तो इससे हमें ये पता चल सकता है कि कुछ कैंसर होते क्यों हैं."

शोधकर्ताओं का कहना है कि लंबाई के बढ़ने ने कैंसर ज़्यादा होने की घटना को बढ़ावा दिया हो। यूरोप में बीसवीं सदी में हर दशक में एक सेंटीमीटर की दर से लंबाई बढ़ी है। वैज्ञानिकों का तर्क है कि इस दौरान कैंसर होने की दर में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी न हुई होती अगर लंबाई वही बनी रहती जो पहले थी।

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