पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने अंग्रेजो को दिया था कर्ज

महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय मध्य भारत के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने रेलवे की स्थापना और उसके लाभ को समझते हुए दक्षिण और उत्तर भारत को जोडऩे के लिए रेलवे ट्रैक बनाने हेतु धन मुहैया कराया। होलकरों से कर्ज लेने के बाद अंग्रेजों ने 1869 में खंडवा-इंदौर रेलवे लाइन का निर्माण किया। बाद में इस रेललाइन को होलकर स्टेट रेलवे कहा जाने लगा। इंदौर से उज्जैन तक विस्तारित रेलवे लाइन को राजपूताना-मालवा रेलवे भी कहा जाता था। यह एक मीटरगेज लाइन है। महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय ने दिया कर्ज, तब पूरा हुआ अंग्रेजों का सपना पूरे जिले में रेलवे लाइन की कुल लंबाई 117.53 किमी थी। जो रेलवे के तीन सेक्शन इंदौर-खंडवा, इंदौर-रतलाम-अजमेर और इंदौर- देवास-उज्जैन में बंटी थी।

101 साल के लिए दिया था एक करोड़ का कर्ज मुफ्त में जमीन

इंदौर के होलकर राजवंश के महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय ने ब्रिटिश गर्वनर को इंदौर के आसपास रेलवे के तीन सेक्शन को जोडऩे के लिए रेलवे लाइन बिछाने के लिए एक करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। ब्रिटिश गर्वनर ने तुकोजीराव होलकर द्बितीय से 1869 में एक करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यह कर्ज 101 वर्ष के लिए 4.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दिया गया था। पटरी बिछाने के लिए जमीन पूरी तरह निशुल्क मुहैया कराई गई थी। 25 मई 1870 को शिमला में वायसरॉय और गर्वनर जनरल इन कौंसिल ने इस समझौते पर मुहर लगाई थी।

नाम पड़ा होलकर स्टेट रेलवे

पूरे जिले में रेलवे लाइन की कुल लंबाई 117.53 किमी थी। जो रेलवे के तीन सेक्शन इंदौर-खंडवा, इंदौर-रतलाम-अजमेर और इंदौर- देवास-उज्जैन में बंटी थी। होलकरों से कर्ज लेने के बाद अंग्रेजों ने 1869 में खंडवा-इंदौर रेलवे लाइन का निर्माण किया। बाद में इस रेललाइन को होलकर स्टेट रेलवे कहा जाने लगा। इंदौर में टेस्टिंग के लिए पहला रेलवे इंजन हाथियों द्वारा खींचकर ट्रैक तक लाया गया था। इस चित्र में 1869 से 1876 तक मध्यभारत में गर्वनर जनरल के एजेंट रहे जनरल सर हेनरी डेली नजर आ रहे हैं। 1877 में रेलवे पूरी तरह काम करने लगी थी।

पहला इंजन हाथी खींचकर ट्रैक तक लाए थे

तुकोजीराव होलकर द्बितीय के 42 वर्ष लंबे शासन काल में इंदौर स्टेट ने अधोसंरचना के मामले में जबरदस्त विकास और समृद्धि हासिल की। इंदौर में टेस्टिंग के लिए पहला रेलवे इंजन हाथियों द्वारा खींचकर ट्रैक तक लाया गया था। इस चित्र में 1869 से 1876 तक मध्यभारत में गर्वनर जनरल के एजेंट रहे जनरल सर हेनरी डेली नजर आ रहे हैं। 1877 में रेलवे पूरी तरह काम करने लगी थी। इंदौर से उज्जैन तक विस्तारित रेलवे लाइन को राजपूताना-मालवा रेलवे भी कहा जाता था। यह एक मीटरगेज लाइन है। महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय मध्य भारत के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने रेलवे की स्थापना और उसके लाभ को समझते हुए दक्षिण और उत्तर भारत को जोड़ने के लिए रेलवे ट्रैक बनाने हेतु धन मुहैया कराया।

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