कानपुर। Holika Dahan 2020: इस साल होलिका दहन 9 मार्च को होगा। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है और इसके अगले दिन लोग गुलाल से होली खेलते हैं, एक- दूसरे से मिलने जाते हैं। इस त्योहार को न जानें कितने समय से मनाया जा रहा है। क्या आप जानते हैं कि हम इसे क्यों मनाते हैं। होली का क्या महत्व है और इसे मनाए जाने के पीछे क्या वजह है। तो चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की रोचक पौराणिक कहानी जिसे लोग आज तक सुनते और सुनाते आए हैं।

होली से जुड़ी ये पौराणिक कथा व महत्व

राक्षसराज हिरण्यकश्यप की तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। हिरण्यकश्यप ने उनसे वरदान मांगा कि संसार का उसे कोई भी जीव- जन्तु, देवी- देवता, राक्षस या फिर मनुष्य कभी मार न सके। हिरण्यकश्यप बोला मेरी मृत्यु न तो दिन में तो न तो रात में, न आकाश में न धरती में, न बाहर न घर में हो पाए। ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दे दिया। वरदान पाने के बाद वो खुद को ईश्वर समझने लगा और अपनी प्रजा से बोला तुम लोग विष्णु को छोड़ कर मेरी पूजा- अर्चना व आराधना करो। जो ऐसा नहीं करता हिरण्यकश्यप उसे मृत्यु दंड दे देता। सभी की तरह उसने अपने छोटे से पुत्र प्रहलाद को भी यही करने को कहा पर वो विष्णुभक्त था और दिन- रात उनकी पूजा करता था।

प्रहलाद ने अपने पिता को भगवान मान कर उनकी इस्तुति करने से इनकार कर दिया। तब हिरण्यकश्यप ने लाख जतन किए पर अपने पुत्र को मृत्यु के घाट नहीं उतार पाया। ऐसे में उसकी बहन होलिका ने एक युक्ति सुझाई और कहा कि मैं होली के दिन प्रहलाद को अग्नी पर लेकर बैठूंगी। कहा जाता है कि होलिका को वरदान प्राप्त था कि वो कभी आग से जल कर नहीं मरेगी। मान्यता है कि होलिका फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को लकड़ियों के ढेर पर प्रहलाद को लेकर बैठी और उस आग से वो खुद ही जल कर राख हो गई जबकि प्रहलाद को एक खरोंच तक नहीं आई और पूरा वातावरण विष्णुभक्ति में लीन हो गया। तबसे इस त्योहार को मनाया जाने लगा।