-अनाथ बच्चों का आंकड़ा नहीं है समाज कल्याण विभाग के पास

-इसके बावजूद चिल्ड्रेंस होम को की जा रही लाखों रुपए की फंडिंग

-जो बच्चे नहीं हैं अनाथ उन्हें भी अनाथ बता कर ली जा रही सरकारी सुविधा

-चिल्ड्रेन होम के नाम पर स्कूल चलाकर पेरेंट्स से हर महीने लिए जा रहे 1200 रुपए

JAMSHEDPUR : सिटी के विभिन्न अनाथ आश्रमों में पल रहे बच्चों का बड़े होने के बाद क्या होता है, इन्हें कहां भेजा जाता है, किसी को गोद दिया जाता है या नहीं, इसका कोई भी रिकार्ड डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के पास नहीं है। और तो और कई सवालों को विभाग द्वारा संबंधित विभाग का मामला नहीं बताते हुए टाल दिया है। यह खुलासा बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान द्वारा झारखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग से राइट टू इंफॉर्मेशन (आरटीआई) एक्ट के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।

विभाग के पास नहीं है जानकारी

ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट में कितने अनाथ बच्चे हैं। उन बच्चों को किन-किन एजेंसी व व्यक्तियों को दिया गया और फिलहाल वे बच्चे कहां है, इसकी कोई भी जानकारी विभाग के पास नहीं है। समाज कल्याण विभाग ने ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट स्थित कई अनाथालयों से इससे संबंधित जानकारी मांगी थी, लेकिन तय समय में कई संस्थानों ने विभाग को जानकारी तक नहीं दी।

तीन फाइनांशियल इयर में सोमाया चिल्ड्रेन होम को दिए गए ख्म् लाख रुपए

मानगो डिमना रोड स्थित सोमाया मेमोरियल चिल्ड्रन होम द्वारा अनाथ बच्चों के नाम पर संस्था का संचालन किया जाता है। अनाथ बच्चों की देख रेख के नाम पर समाज कल्याण निदेशालय द्वारा वर्ष ख्009-क्0 में म्,ख्ब्,900 रुपए व वर्ष ख्0क्0-क्क् में 8,क्7,ब्00 रुपए की फंडिंग की गई थी। इसके बाद वर्ष ख्0क्फ्-क्ब् में एक बार फिर से विभाग द्वारा संस्था को क्क्,म्भ्,000 रुपए का बैंकर्स चेक दिया गया। इन पैसों का इस चिल्ड्रेन होम द्वारा क्या यूज किया गया, कहां खर्च किया गया, इसकी भी जानकारी विभाग द्वारा नहीं ली जाती है।

कैसे हुआ ख्म् लाख रुपए का आवंटन

इस मामले में बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के चीफ कन्वेनर सदन कुमार ठाकुर ने स्टेट के सोशल वेलफेयर डायरेक्टर को पत्र लिखकर इस बात पर सवाल उठाया है कि अगर विभाग के पास अनाथ बच्चों का कोई आंकड़ा ही नहीं है तो फिर किस आधार पर सोमाया चिल्ड्रेन होम को ख्म्,07,फ्00 रुपए का आवंटन किया गया। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।