देश के अगले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले प्रमुख दक्षिणी एशियाई नेताओं को लेकर भारतीय राजनीतिक दलों में मतभेद खुलकर सामने आने लगा है.पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को लेकर कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी द्वारा बीजेपी की आलोचना करने और श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष महिन्द्रा राजपक्षे को लेकर एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता, डीएमके पेट्रियार्क एम करूणानिधि और भाजपा के एलाय एमडीएमके प्रमुख वाईको का विरोध अब खुलकर सामने आने लगा है.

26 मई को होने वाले शपथ ग्रहण सामारोह में राजपक्षे के आने को लेकर तमिलना़डु के प्रमुख नेताओं में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है. सूत्रों के अनुसार जयललिता इस शपथ ग्रहण सामारोह में हिस्सा नही लेगीं.

नवाज़,हसीना और राजपक्षे को इनविटेशन से औरों को टेंशन

एनडीए के घटक दलों में शामिल एमडीएमके प्रमुख वाईको ने भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलकर राजपक्षे के आगमन का खुलकर विरोध किया.जयललिता ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को निमंत्रित किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

पहले एमडीएमके और एआइएडीएमके के विरोध के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री व डीएमके सुप्रीमो एम करुणानिधि ने भी नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को निमंत्रण दिए जाने की आलोचना की है. उन्होंने भाजपा नेताओं से इस पहल को रोकने की मांग करते हुए कहा कि यह पूरी दुनिया में तमिलों के लिए अवांछनीय और अस्वीकार्य है.

करुणानिधि ने एक बयान में कहा कि वैसा व्यक्ति जो लाखों तमिलों का हत्यारा है, जिसने जातीय हिंसा करवाई और जो अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का अपराधी है उसे मोदी के शपथ ग्रहण में बिल्कुल नहीं बुलाना चाहिए। उन्होंने इस पहल को तत्काल रोकने का अनुरोध किया है.

गौरतलब है कि तमिलनाडु के प्रमुख दलों डीएमके और एआइडीएमके का आरोप है कि श्रीलंकाई सेना और एलटीटीई के बीच युद्ध में जानबूझकर लाखों तमिलों को मौत के घाट उतार दिया गया जिसकी अगुवाई स्वयं राजपक्षे ने किया था। इससे पहले तमिलों के मुद्दे पर ही डीएमके ने यूपीए-2 सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था.

नवाज़,हसीना और राजपक्षे को इनविटेशन से औरों को टेंशन

दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के शामिल होने का बिरोध किया है. उन्होनें कहा कि यूपीए के शासन काल में जब

भी भारत और पाकिस्तान के मध्य संबंधों को बेहतर करने की दिशा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा प्रभावी कदम उठाया गया तब बीजेपी के द्वारा इसका विरोध हुआ. आज उनके सिध्दांतों का क्या हुआ?

बीजेपी को ये नही भूलना चाहिए कि उनके पूर्व के शासन काल में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भारत-पाकिस्तान रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में जो प्रभावी कदम उठाये गए, उसी दिशा में यूपीए के शासन काल में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा इन देशों के मध्य संबंधों को बेहतर करने की दिशा में काफी कुछ किया गया पर बीजेपी के द्वारा हमेशा इसकी आलोचना की गई.

नवाज़,हसीना और राजपक्षे को इनविटेशन से औरों को टेंशन

सूत्रों के अनुसार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का विरोध किया है.

देश के अगले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शपथ ग्रहण 26 मई को एतिहासिक राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में 3000 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अतिथियों की उपस्थिति में संपन्न होगा.

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