दिल्ली में 3 हजार ट्रैवेल एजेंट
दिल्ली में कई प्रकार की टैक्सी सेवाएं चल रही हैं. एक काली-पीली टैक्सियां, दूसरी पीली नंबर प्लेट वाली कामर्शियल टैक्सियां, तीसरी रेडियो टैक्सियां और चौथी ऑनलाइन और मोबाइल एप आधारित बुकिंग वाली टैक्सियां, परंतु पांचवीं श्रेणी उन टैक्सियों की है जो हैं तो प्राइवेट कारें लेकिन इनका उपयोग टैक्सी सेवाओं के लिए अनधिकृत रूप से किया जाता है. इस तरह की टैक्सी सेवाएं देने वाले कम से कम तीन हजार ट्रैवेल एजेंट दिल्ली में कार्यरत हैं. बाकी टैक्सी सेवाओं में शायद कुछ ही पंजीकृत न हों, परंतु इन ट्रैवल एजेंटों में अधिकांश का कोई पंजीकरण दिल्ली मोटर वाहन कानून-81 के तहत नहीं है. जबकि मोटर वाहन कानून के अनुसार ऐसा होना आवश्यक है.
ट्रैवेल एजेंटों का रजिस्ट्रेशन जरूरी
परिवहन क्षेत्र में अनुसंधान से जुड़ी संस्था फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के अनुसार वेब और मोबाइल एप आधारित टैक्सी सेवाओं पर रोक लगाने के बावजूद यदि इन अनधिकृत ट्रैवल एजेंटों का पंजीकरण नहीं हुआ तो पूरे अभ्यास का कोई लाभ जनता को होने वाला नही हैं. अक्सर ये एजेंट अपने ड्राइवरों का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराते. फलस्वरूप इनके ड्राइवरों का व्यवहार भी संतोषजनक नहीं है. पुलिस और परिवहन विभाग की मिलीभगत से इन ट्रैवेल एजेंटों का धंधा धड़ल्ले से फल-फूल रहा है.
मुंबई में भी मुस्तैदी बढ़ी
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