विरोधी दलों की लामबंदी
दरअसल, भाजपा की चिंता है कि यदि पीडीपी और एनसी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना लेती हैं तो नई सरकार में जम्मू की हिस्सेदारी बिल्कुल नहीं होगी. ऐसे में भाजपा उपमुख्यमंत्री पद और जम्मू को सरकार में प्रतिनिधित्व देने के लिए मनाकर पीडीपी के साथ साझा सरकार की कोशिशें भी कर रही है. वैसे भाजपा के प्रबंधक अभी उमर से भी बातचीत कर रहे हैं, लेकिन घाटी के परस्पर विरोधी दलों की लामबंदी का तोड़ ढूंढना आसान नहीं है.भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों ने माना कि हिंदू यानी जम्मू के मुख्यमंत्री को रोकने के लिए घाटी के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों के हाथ मिला लेने से स्थिति विकट हो गई है. हालांकि, उमर और महबूबा का गठजोड़ बेहद विपरीत है, लेकिन कांग्रेस और अन्य लोगों की पहल ने मामला पेचीदा कर दिया है.
तीन-तीन साल के कार्यकाल का बंटवारा
भाजपा ने कोशिश की थी कि पीडीपी और वह तीन-तीन साल के कार्यकाल का बंटवारा कर ले. मगर पीडीपी ने छह साल के लिए मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाने की कड़ी शर्त रखी है. इतना ही नहीं, अनुच्छेद 370 और अफस्पा जैसे कानूनों पर भी भाजपा को पीछे हटने को कहा है. भाजपा यदि खुद का मुख्यमंत्री नहीं बना पाती है तो मंत्रिमंडल में बराबर की हिस्सेदारी लेकर सरकार बनाने के विकल्प पर भी आगे बढ़ सकती है.
इसलिए बदली रणनीति
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