पारंपरिक विचारधारा के विपरीत है ये घोषणा
पोप फ्रांसिस का गर्भपात करवाने वाली महिलाओं को माफ करने के लिए कहना अब तक की रोमन कैथेलिक चर्च की विचारधारा के बिलुकुल विपरीत घोषणा है क्योंकि अब तक खुद पोप फ्रांसिस ने गर्भपात को भयावह करार दिया था। इस बार उनका ये नवीनतम फैसला जयंती वर्ष के दौरान आया है। उन्होंने सभी से उन महिलाओं को माफ करने को कहा है जिन्होंने गर्भपात करवाया है। पोप ने गर्भपात करने वाले डॉक्टरों को भी माफ कर देने को कहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अब तक के विचारों के विपरीत यह तय किया है कि सभी पुजारी जयंति वर्ष में उन महिलाओं को उस पाप के लिए दोषमुक्त कर दें, जिन्हें दिल से इसके लिए पछतावा हो रहा है। हालाकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इन महिलाओं को ये ध्यान रखना चाहिए कि उन्होंने कितना बड़ा पाप किया है।
अस्तित्व और नैतिकता की अग्नि परीक्षा से गुजरती हैं महिलायें
पोप ने अपने पत्र में ये भी कहा कि वे ये मानते हैं कि महिलाओं के लिए अपनी गर्भ को समाप्त करना आसान नहीं होता है। गर्भपात से पहले वो अपने अस्तित्व के संघर्ष और नैतिक मूल्यों की अग्नि परीक्षा से गुजरती हैं जो उनके लिए भावनात्मक रूप से कड़ी सजा होती है इसलिए प्रीस्टस और चर्च को उन्हें माफ कर देना चाहिए। हालाकि पोप फ्रांसिस ने ये भी कहा कि कुछ लोगों ने सतही जागरुकता के कारण भी गर्भपात की त्रासदी को झेला है। तो कुछ ये मानते हैं कि इसके अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं था।
खास बात ये है कि ये निर्णय ऐसे समय आया है जब पोप फ्रांसिस ने इस साल को जयंति वर्ष के तौर पर मनाने की घोषणा की है। ये एक ऐसा समय है जो पारंपरिक रूप से क्षमा और छूट के लिए जाना जाएगा।Hindi News from World News Desk
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