पंजाब में अमृतसर का जलियांवाला बाग
पंजाब के अमृतसर में स्थित ये जलियांवाला बाग आज भी अहिंसक प्रदर्शनकारियों की कहानी बयां करता है। ये वो प्रदर्शनकारी थे, जिन्हें ब्रिटिश भारतीय सेना ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। यहां की दीवारों पर आज भी अंग्रेजों की गोलियों के बड़े-बड़े निशान मौजूद हैं। ये निशान कहानी बयां करते हैं कि कैसे उन निर्दोष प्रदर्शनकारियों को अंग्रेजी सेना ने कुचल कर रख दिया था। बता दें कि ये जलियांवाला बाग अमृतसर में दरबार साहिब या स्वर्ण मंदिर के पास ही स्थित है। आज के युवाओं और बच्चों को इससे जरूर कुछ सीख लेनी चाहिए।

6 ऐतिहासिक जगह,जहां खेलकर बड़ी हुई आजादी

वाघा बॉर्डर, अमृतसर, पंजाब
आप अगर वाकई स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस वाघा बॉर्डर को नहीं भूल सकते। ये बॉर्डर अमृतसर से करीब 28 किलोमीटर दूर और यहां की ऐतिहासिक ग्रांड ट्रंक रोड पर स्थित है। वैसे ये भारत के अमृतसर, तथा पाकिस्तान के लाहौर के बीच स्थित एक छोटा सा गांव है, जहां से दोनों देशों की सीमा गुजरती है। भारत और पाकिस्तान के बीच थल-मार्ग से सीमा पार करने का यही एकमात्र निर्धारित स्थान है। यहां बीएसएफ के जवान हर वक्त मौजूद रहते हैं, देश की सीमा की रक्षा करने के लिए। इन जवानों की जांबाजी को सभी भारतीयों को सल्यूट करना चाहिए। इस बॉर्डर पर हर रोज शाम को दोनों देशों के झंडों को झुकाकर मिलाया जाता है।

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रानी का किला, झांसी, उत्तर प्रदेश  
ये ऐतिहासिक किला बंगीरा नाम की पहाड़ी के ऊपर स्थित है। ये गवाह है रानी लक्ष्मीबाई के उस साहस का, जिसके बल पर उन्होंने अकेले इतनी बड़ी अंग्रेजी सेना से मोर्चा लिया। असल मायने में यहीं से शुरू हुई थी स्वतंत्रता पाने की जंग। इस जंग के ऐसे सबूतों से आज के वीरों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जो उन्हें सीखना चाहिए।

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अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर का ये सेल्यूलर जेल
अब इस जेल को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है। इस जेल की दीवारें आज भी उस दर्दनाक कहानी को बयां करती हैं, जो आजादी के मतवालों ने अपने खून से लड़ी। इन वीर सपूतों ने ये लड़ाई अपने देश और देशवासियों की आजादी के लिए लड़ी। जेल की इन दीवारों को पकड़े गए क्रान्तिकारियों को कैद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जहां उन्हें काले पानी से भी ज्यादा बदत्तर सजा दी जाती थी।

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चंद्रशेखर आजाद पार्क, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश
कंपनी गार्डेन या आलरेड पार्क को चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से भी जाना जाता है। यही वो पार्क है, जहां भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ने अपनी जिंदगी को खत्म करने का विचार बनाया और यहीं खुद को अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली से खत्म कर दिया। बता दें कि आजाद कभी नहीं चाहते थे कि उन्हें मौत अंग्रेजों के हाथों मिले। ऐसे में उन्होंने खुद के हाथों ही अपनी मौत चुन ली। उनकी महानता को बयां करने के लिए यहां एक स्मारक का भी निर्माण किया गया है।

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दिल्ली का लाल किला  
दिल्ली के इस लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को ध्वजा रोहण करते हैं। इसके साथ ही यहां भारत की संस्कृति के हर हिस्से को दर्शाने वाली परेड भी आयोजित की जाती है। इस परेड को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आने की जुगत में होते हैं। ऐसे में इस मौके पर यहां भारी भीड़ इकट्ठा होती है।

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