नई दिल्ली (पीटीआई)। India Economic Survey 2020 : आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 1 अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 6 से 6.5 प्रतिशत की अनुमानित दर से विकास करेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि विकास दर अपना निचला स्तर छू चुकी है। आगामी वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्तमान वित्त वर्ष में अनुमानित विकास दर 5 प्रतिशत थी। इसमें बताया गया है कि फाइनेंशियल सेक्टर ने रीयल सेक्टर को नीचे लाने का काम किया, जिससे विकास धीमा रहा। जीडीपी विकास दर को समझने के लिए यह जानना बहुत जरूरी है।

मजबूत जनमत का उपयोग अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में करे सरकार

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सरकार को अपने मजबूत जनमत का उपयोग करना चाहिए और तेजी से आर्थिक सुधाराें को लागू करना चाहिए ताकि 2020-21 में अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके। दो खंडों में छपा आर्थिक सर्वेक्षण इस बार हल्के बैगनी रंग में छापा गया है। यह रंग 100 रुपये के नये नोट के रंग की तरह है। हालांकि पुराने नोट अब भी प्रचलन में हैं। बजट पूर्व सर्वे में कहा गया है कि संपदा का बंटवारा होना चाहिए। संपदा का निर्माण होना चाहिए और इसे बनाने वालों को सम्मान की नजर से देखे जाने की जरूरत है।

बिजनेस को लाल फीताशाही से मुक्त करे सरकार

सर्वे में बताया गया है कि प्याज जैसी चीजों की महंगाई रोकने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए वे पर्याप्त नहीं थे। नौकरियां बढ़ाने के लिए सरकार को 'असेंबल इन इंडिया फाॅर द वर्ल्ड' जैसे आइडिया पर काम करने की जरूरत है। इससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार भी मिलेगी। सर्वे में कहा गया है कि सरकार कारोबार को आसान बनाए और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पोर्ट्स को लाल फीताशाही से आजाद करे। कारोबार शुरू करने, संपत्ति के पंजीकरण, टैक्स चुकाने और अनुबंधों को लागू करने वाले नियमों में ढील देने की जरूरत है। सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली में सुधार करने और उनमें भरोसा जगाने के लिए उपाय करने होंगे। आर्थिक सर्वे में बाजार और अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए 10 उपायों की भी अनुशंसा की गई है।