सैन्य कार्यालयों में झंडे फहराये
आज भारत का 67वां इंडियन आर्मी डे है. 15 जनवरी, 1949 को पहले भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल के.एम.करियप्पा ने भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर फ्रांसिस बचर से सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी. बस उसके बाद से ही हर साल 15 जनवरी को भारतीय सैन्य दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन आर्मी को संदेश देते हुए कहा, मैं आज भारतीय सैन्य दिवस पर भारतीय सेना के अदम्य साहस और बहादुरी को सलाम करता हूं. हमें उनके समर्पण और दृढ़ता पर गर्व है. इसके अलावा आज देश भर में स्िथत सैन्य कार्यालयों में झंडे फहराये जा रहे हैं.इसके अलावा इंडियन आर्मी को उसके साहस, देशप्रेम और त्याग की भावना को सलामी दी जा रही है. एनसीसी संगठनों में भी आज परेड का आयोजन किया जा रहा है.

करिअप्पा बराबर प्रगति करते गए
स्वतंत्र भारत की सेना के 'प्रथम कमाण्डर इन चीफ़', फ़ील्ड मार्शल करिअप्पा का जन्म 1899 ई. में दक्षिण में जन्मे थे. करिअप्पा को उनके क़रीबी लोग 'चिम्मा' नाम से भी पुकारते थे. अपने छात्र जीवन में करिअप्पा एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में भी जाने जाते थे. संगीत सुनना भी इन्हें पसन्द था. शिक्षा पूरी करने के बाद ही प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918 ई.) में उनका चयन सेना में हो गया.अपनी अभूतपूर्व योग्यता और नेतृत्व के गुणों के कारण करिअप्पा बराबर प्रगति करते गए. भारत के स्वतंत्र होने पर 1949 में करिअप्पा 'कमाण्डर इन चीफ़' बने थे. इस पद पर वे 1953 तक रहे. सेना से सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में भारत के 'हाई-कमिश्नर' के पद पर भी काम किया. करिअप्पा के सेवा के क्षेत्र में स्मरणीय योगदान के लिए 'फ़ील्ड मार्शल' की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया गया था. इसके बाद 94 वर्ष की आयु में बैंगलौर में 15 मई, 1993 ई. को करिअप्पा का निधन हो गया.

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