श्रीनगर (पीटीआई)। भारतीय सेना के अधिकारियों ने सोमवार को उन जवानों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 36 साल पहले सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि यह 36 वां सियाचिन दिवस था, जो भारतीय सेना के जवानों द्वारा दुनिया में सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र को हासिल करने के लिए दिखाए गए साहस को याद करता है।
13 April 1984.#ThisDayThatYear#OperationMeghdoot
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) April 13, 2020
#IndianArmy secured Strategically important Siachen Glacier and guards these icy heights of our motherland.
Doing difficult is routine here, impossible may take a little longer.
Jai Hind#Siachen pic.twitter.com/NU0T3zB6ik
ऑपरशेन मेघदूत हुआ था शुरु
भारतीय सेना ने 1984 में इस दिन, पाकिस्तानी आक्रमण से सल्टोरो रिगलाइन पर बिलाफोंड ला और अन्य दर्रे को सुरक्षित करने के लिए 'ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया था। रक्षा प्रवक्ता ने आगे कहा, 'तब से हर साल कठिन इलाके और ग्लेशियर पर जलवायु परिस्थितियों को चुनौती देने के लिए अद्वितीय वीरता की गाथा गाई जा रही है।'
भारतीय सेना ने ट्विटर पर जवानों को किया सैल्यूट
भारतीय सेना ने भी ट्विटर पर ऑपरेशन मेघदूत के शौर्य का बखान किया। सोशल मीडिया पर सियाचिन के ग्लेशियर की तीन तस्वीरें पोस्ट की गई। इसमें एक तस्वीर में भारतीय सैनिक हाथ में तिरंगा लिए ऊंची चोटी पर खड़े हैं। वहीं अन्य तस्वीरों में सेना ने दिखाया कि, सियाचिन की स्थिति कितनी जटिल है। इसके बावजूद भारतीय सैनिक जी-जान से देश की सुरक्षा में डटे रहते हैं।
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