कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। World Bicycle Day Special Story: प्यार में इंसान क्या कुछ नही कर जाता। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा प्यार देखा है जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए सात समंदर पार चला गया और वो भी साइकिल चलाकर। पढ़ने में आपको जरूर ये अजीब लगा रहा होगा पर ये सच है। भारत के ओडिशा में रहने वाले प्रद्युम्न कुमार महानंदिया ने दिल्ली से स्वीडन तक का सफर साइकिल पर तय किया। जिसमें उन्हें पूरे चार महीने का समय लगा।

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पेंटिंग बनाते बनाते प्यार में पड़े प्रद्युम्न
भारत के ओडिशा में रहने वाले डॉ. प्रद्युम्न कुमार महानंदिया एक छोटे लेकिन शानदार कलाकार हैं। वो स्वीडन की एक गोरी पर अपना दिल हार बैठे। उस गोरी का नाम शेर्लोट है। दरअसल ये कहानी कुछ यूं शुरू हुई, प्रद्युम्न कुमार महानंदिया का कला देश विदेश में मशहूर थी। वो सामने बैठे व्यक्ति को हबहू अपनी कला के सहारे पेपर पर उतार देते थे। 1975 में शेर्लोट को प्रद्युम्न के बारे में पता चला जिसके बाद वो पूरे 22 दिन कार चलाकर भारत आई। इसके बाद शेर्लोट ने उनकी एक पेंटिंग बनवाने की इच्छा भी जाहिर की। पेंटिंग बनाते बनाते प्रद्युम्न का दिल शेर्लोट की सुंदरता पर आ गया और दोनों में प्यार हो गया।

रोज 70 किमी. चलाई साइकिल
प्यार में पड़ने के बाद जल्द ही दोनों ने आदिवासी रीति-रिवाज से शादी की। शादी के कुछ समय बाद शेर्लोट को अचानक स्वीडन लौटना पड़ा। उस समय प्रद्युम्न उसके साथ नही जा सकते थे। फिर क्या था, वहीं से शुरू हुआ उनका साइकिल वाला सफर। जनवरी 1977 में, उन्होंने अपना सारा सामान बेचकर भारत से स्वीडन जाने के लिए एक साइकिल खरीदी। प्रद्युम्न पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को साइकिल चलाकर पार किया। इस साइकिल की सवारी में उन्हें 4 महीने और 3 हफ्ते लगे। वो हर दिन लगभग 70 किमी. (44 मील) साइकिल चलाते थे। जिसके बाद वो आखिरकार, स्वीडन पहुंचकर अपने प्यार से मिले और अपनी आगे की जिंदगी की शेर्लोट के साथ बिताई।

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