इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ में सुधार नही
मोदी सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद भारत के इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ रेट में कोई इजाफा नही हुआ है. देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर मात्र 0.4 परसेंट रही है. इस दर में गिरावट के कारण मुख्यता विनिमार्ण क्षेत्र और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में उत्पादन कम होना है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल 2013 के अगस्त महीने में भी इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ रेट 0.4 परसेंट ही है.
अगस्‍त में इंडस्‍ट्रियल प्रॉडक्‍शन ग्रोथ रेट पहुंची 0.4% पर,फिक्की ने कहा उद्योगों के लिए नकारात्‍मक

जुलाई की दरों में संशोधन

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों में साफ किया गया है कि जुलाई में यह दर 0.41 परसेंट थी. गौरतलब है कि इस दर को पहले 0.5 परसेंट बताया गया था. इसके साथ ही 2014-15 फाइनेंशियल ईयर में अप्रेल से अगस्त के बीच में यह दर 2.8 परसेंट रही.
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सीआईआई ने कहा प्रतिस्पर्धी बाजारों की जरूरत

सीआईआई महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने कहा 'निवेश को गति देने और मांग को बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने की जरुरत है. इसके लिए जिन परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, उसके क्रियान्वयन में तेजी लायी जाए और कोयला व खनन क्षेत्रों के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार उपलब्ध कराया जाए.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लांच की गई मेकइनइंडिया स्कीमों से इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रौथ में तेजी आने की उम्मीद है.
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फिक्की ने बताई ग्रोथ रेट निगेटिव

फिक्की महासचिव ए दीदार सिंह ने कहा 'विनिर्माण क्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि ये यह विश्वास फिर से मजबूत हुआ है कि विनिर्माण क्षेत्र गिरावट से अभी बाहर नहीं निकला है. उपभोक्ता और पूंजीगत वस्तुओं में नकारात्मक वृद्धि देखना ज्यादा चिंताजनक है। खासकर ऐसे समय में जब हम उम्मीद कर रहे थे मांग में तेजी आएगी.'

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