कन्फ्यूजन में फंसी है ये मिस्ट्री

 स्पॉट को देखकर कोई भी इसे सुसाइड का मामला बताएगा। मृतक के घर पहुंचेगा और वहां मिले सामानों को देखने के बाद वह कन्फ्यूज हो जाएगा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढऩे के बाद इसे हत्या बता देगा। कुछ ऐसे ही कन्फ्यूजन में फंसी है सदर तहसील के न्यायिक तहसीलदार राघवेन्द्र सिंह की मौत। उनकी बॉडी कालिंदीपुरम एरिया में 100 फीट रोड के किनारे फ्राइडे मार्निंग मिली। स्थानीय लोगों से लोकल पुलिस को बॉडी पड़े होने की सूचना मिली और पुलिस से ऑफिसर्स को एक ऑफिसर की मौत की। ऑफिसर की मौत का मामला सामने आते ही पुलिस से लेकर प्रशासनिक अफसरों के कान खड़े हो गए और आईजी, डीआईजी, एसएसपी और डीएम समेत तमाम अन्य ऑफिसर स्पॉट पर पहुंच गए। स्पॉट पर मिले सबूतों से सभी इसे आत्महत्या का मामला मानकर चल रहे थे। लेकिन क्यों? यह सवाल भी हर जेहन में था। पुलिस को मृतक के घरवालों के बयान का इंतजार है ताकि  रिपोर्ट दर्ज करने और जांच को आगे बढ़ाने का रास्ता मिले।

इलाहाबाद में अकेले रहते थे राघवेन्द्र

राघवेन्द्र सिंह मूलरूप से आजमगढ़ जिले के रहने वाले थे। उनकी वर्तमान पोस्टिंग सदर तहसील में तहसीलदार न्यायिक के पद पर थी। करेली एरिया में स्थित लेखपाल ट्रेनिंग सेंटर कैंपस में उन्हें रहने के लिए कमरा एलॉट था। साल भर पहले वह बलिया से ट्रांसफर होकर यहां आए थे। उनकी वाइफ गीता अपने बच्चों के साथ बनारस में रेंट पर रूम लेकर रहती हैं। बड़ा बेटा राजन नोएडा के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर रहा है जबकि छोटा बेटा शेखर बनारस में क्लास आठवीं का स्टूडेंट है। शेखर मां के साथ शाम को यहां पहुंच गया लेकिन वे लोग घटना के बारे में कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थे।

वीरान एरिया में पड़ी थी body

फ्राइडे मार्निंग करेली और कालिंदीपुरम एरिया के रहने वाले लोकल लोगों ने एक व्यक्ति की बॉडी देखी। एक गड्ढे में पानी था और उसी के पास बॉडी पड़ी थी। आसपास कुछ सामान भी था। किसी ने इस घटना के बारे में पुलिस को सूचना दी तो कालिंदीपुरम चौकी से पुलिस स्पॉट पर पहुंची। पुलिस को मौके पर एक आई कार्ड मिला जो मृतक का ही था और उस पर मृतक का नाम राघवेन्द्र और पोस्ट तहसीलदार न्यायिक सदर लिखी थी। यह देखकर पुलिस वालों को लग गया कि मामला बड़ा है तो उन्होंने सीनियर ऑफिसर्स तक इसकी सूचना पहुंचा दी।

शरीर पर चोट का एक भी निशान नहीं

धूमनगंज पुलिस की सूचना पर सबसे पहले फोरेंसिक एक्सपर्ट प्रेम भारतीय और डॉग स्क्वाड टीम पहुंची। फोरेंसिक टीम को जांच में राघवेन्द्र की बॉडी पर चोट का एक भी निशान नहीं मिला। यह टीम जांच में लगी ही थी कि एसएसपी उमेश कुमार श्रीवास्तव, आईजी एलवी एंटनी देव और डीआईजी एन रवीन्द्र भी वहां पहुंच गए। चंद मिनट के भीतर ही प्रशासनिक ऑफिसर्स भी वहां पहुंच गए तो आसपास के लोगों की भीड़ जुट गई।

Spot का scenario

पुलिस को मौके पर शराब की की एक बोतल मिली जो आधी से ज्यादा खाली थी। एक पानी की बोतल, एक कोल्ड ड्रिंक की आधी कटी हुई बोतल, एक ब्लेड, नमकीन का एक पैकेट और सल्फाश के दो पैकेट मिले। स्पॉट को देखकर पुलिस का अनुमान था कि कोल्ड ड्रिंक की बोतल को उन्होंने ब्लेड से आधी काटी होगी और उसी में शराब और पानी के साथ सल्फास की गोलियां भी घोलकर पी ली होंगी। रास्ते में एक-दो स्थानों पर ओमेटिंग के स्पॉट भी मिले। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले पुलिस मानकर चल रही थी कि यह आत्महत्या का मामला है और राघवेन्द्र इसके लिए पूरी तैयारी करके घर से निकले थे।

Post mortem report ने बदल दी कहानी

तहसीलदार की बॉडी का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स के पैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बॉडी में प्वाइजन तो मिला है। लेकिन, मौत दम घुटने से हुई है। रिपोर्ट ने सुबह की थीम को पूरी तरह से पलटकर रख दिया। इसके बाद कयास लगाया जाने लगा कि यह सुनियोजित हत्या का मामला है। उन्हें प्वाइजन तो दिया ही गया साथ में चेहरे को किसी साफ्ट चीज को रखकर दबा दिया गया जिससे उनका दम घुट गया। इसी के चलते बॉडी पर किसी प्रकार का कोई निशान नहीं मिला। अब यह सवाल भी सामने आया कि दम घोंटने पर बॉडी में रिएक्शन हुआ होगा? उसका कोई निशान स्पॉट पर क्यों नहीं है? इससे मामला और उलझ गया। डॉक्टर्स ने प्वॉइजन की जांच के लिए बिसरा प्रिजर्व कर लिया है।

SP city के क्लोज रहे हैं राघवेन्द्र

इस मामले से जुड़े तथ्यों की पड़ताल में एसपी सिटी शैलेष राय ने खुद इंट्रेस्ट दिखाया। ऐसा इसलिए क्योंकि राघवेन्द्र कभी शैलेष ने साथ-साथ काम्पिटेटिव एग्जाम्स की तैयारी की थी। उसी दौर की दोनों की फ्रेंडशिप थी और इलाहाबाद में एक तैनाती मिल जाने के बाद पुरानी यादें ताजी हो उठी थीं। एसपी सिटी खुद स्पॉट के बाद उनके कमरे जांच करने के लिए पहुंचे। राघवेन्द्र का घटना के बाद मोबाइल नहीं मिल रहा था। पुलिस कमरे में पहुंची तो टेबल पर मोबाइल मिला जो च्विच्ड ऑफ था। तीन बजे के बाद से उसमें कोई काल नहीं शो कर रही थी, न तो डायल्ड और ना ही रिसीव्ड। पुलिस को जांच के बाद पता चला कि राघवेन्द्र कमरे में अकेले रहते थे। उनके रूम में एक नौकर था जो केवल खाना बनाने का काम करता था। एक रूम का ताला बंद करके चाबी राघवेन्द्र अपने पास ही रखते थे। कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस को 95 हजार रुपए नकद, मंगल सूत्र और एक पायल मिला। दरअसल, इस कमरे में पुलिस राघवेन्द्र का लाइसेंसी रिवाल्वर सर्च कर रही थी जो नहीं मिला। कुछ ही देर बाद राघवेन्द्र के ब्रदर इन ला सुघर सिंह वहां पहुंचे। सुघर भी पुलिस को इस बात की जानकारी नहीं दे सके कि राघवेंद्र का लाइसेंसी रिवाल्वर कहां है? वैसे देर शाम राघवेन्द्र का छोटा बेटा और परिवार के अन्य सदस्य भी यहां पहुंच गए। लेकिन, यह नौबत क्यों आई? इसका जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं था। राघवेन्द्र के रिश्ते के साले सुघर कौशांबी में रहते हैं। उन्होंने खुद को इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक का चेयरमैन बताया।

 Sucuide नहीं murder

  राघवेन्द्र के साले सुघर ने एसएसपी को बताया कि दो दिन पहले ही राघवेन्द्र अपने घर से लौटे थे। उनका किसी से कोई विवाद नहीं था और न ही घर की कोई टेंशन थी। फिर यहां आकर अचानक वह सुसाइड क्यों करेंगे? उनका तर्क था कि सुसाइड करना ही होता तो वह अपने कमरे में कर सकते थे। सुनसान जगह पर आने के पीछे का कारण समझ से परे है। उन्होंने सीधे हत्या का आरोप लगाया। यही नहीं उनकी इस बात का समर्थन प्रशासनिक ऑफिस से पहुंचे कई ऑफिसर्स भी कर रहे थे। इनका कहना था कि मर्डर के बाद सुसाइड का सिनेरियो क्रिएट किया गया है। उन्होंने आशंका जताई कि राघवेंद्र को यहां बुलाकर बेहद शातिराना अंदाज में हत्या की गई है। सुसाइड को लेकर प्रशासनिक ऑफिसर और धूमनगंज इंस्पेक्टर के बीच तीखी नोक-झोंक भी स्पॉट पर हुई क्योंकि राघवेन्द्र को जानने वाला कोई भी रिलेटिव या परिचित इसे सुसाइड मानने को तैयार नहीं था।

कौन था वह शख्स

 पुलिस को अब तक की जांच में पता चला है कि राघवेन्द्र से मिलने कोई आने वाला था। जिससे वह मिलना नहीं चाहते थे। उन्होंने अपने नौकर को कह रखा था कि वह शख्स आए तो बता दे कि वह घर पर नहीं हैं। फोन करके पूछने पर भी कुछ बहाना बना देने का निर्देश नौकर को मिला था। एक तो यह सस्पेक्ट, दूसरे पत्नी के वाराणसी में होने के बाद भी एक मंगलसूत्र राघवेन्द्र के कमरे में मिलना और तीसरा लाइसेंसी रिवाल्वर गायब होना, एक साथ कई सवाल खड़े कर गया। कुछ लोगों ने कैश की मौजूदगी पर भी सवाल खड़े किए। पुलिस ने इन सभी तथ्यों को जांच का हिस्सा बनाया है। फिलहाल पुलिस के पास सवाल ज्यादा हैं और जवाब कम। इस पर रौशनी डालने वाले का भी पुलिस को इंतजार है।

मामला संदिग्ध है। सुसाइड ही करना होता तो घर से इतनी दूर सुनसान जगह क्यों आते? पोस्टमार्टम रिपोर्ट और राघवेंद्र के घर वालों की तहरीर पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। सर्विलांस की मदद से भी पुलिस जांच में जुटी है।

उमेश कुमार श्रीवास्तव

एसएसपी

चौंकाने वाली परिस्थितियां

-सल्फाश खाने के बाद भी बॉडी बैठने वाली पोजीशन में कैसे थी?

-सल्फास खाने के बाद उन्हें उल्टी शुरू हो गई तो स्पॉट पर इसके निशान क्यों नहीं हैं?

-शराब की बोतल, पानी, सल्फाश की गोलियां, नमकीन आदि क्या वह सुसाइड का प्रमाण बनाने के लिए साथ लेकर गए थे?

-सल्फाश खाया था तो दम घुटने वाला फैक्ट कैसे सामने आया?

-क्या कोई था जो उन्हें अपने साथ ले गया था?