श्रीनगर (आईएएनएस)। अब जम्मू-कश्मीर में इधर नए सिरे से सरकार बनाने कवायद शुरू हुई थी। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार बनाने का दावा किया था। उसने अपनी चिट्ठी में जिक्र किया था नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का भी समर्थन है। उसके पास कुल 56 विधायक भी हैं। वहीं भाजपा भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर दावा कर रही थी। सज्जाद गनी लोन का दावा था कि उसके पास बीजेपी के 25 विधायकों और 18 से ज्यादा अन्य विधायकों का समर्थन है।

धुर विरोधी पार्टियां भी एक दूसरे के साथ आईं थीं
ऐसे में सरकार बनाने काे लेकर कल जम्मू-कश्मीर में पूरा दिन सियासी ड्रामा चला लेकिन शाम को राजभवन द्वारा जारी अधिसूचना के बाद इसमें एक नया मोड़ आ गया है। रात में विधानसभा भंग कर दी गई। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि मौजूदा हालाताें को देखते हुए वह संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग कर विधानसभा को भंग किया है। अभी इसका दो साल का समय बाकी था। इस दौरान खास बात यह देखने काे मिली कि यहां धुर विराेधी पार्टियां मिलकर सरकार बनाने के लिए एक होने का राग अलाप रही थींं।

जून में  जम्मू कश्मीर की राजनीति में उठा था तूफान
बता दें कि जून, 2018 में बीजेपी ने अचानक से जम्मू कश्मीर की राजनीति में तूफान ला दिया था। प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार से उसके अलग होने पर महबूबा मुफ्ती को राज्यपाल को इस्तीफा सौंपना पड़ा था। भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार दिसंबर, 2014 में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद एक मार्च, 2015 को बनी थी।

 

 

 

 

 

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