-2 सितम्बर को सप्तमी तिथि रात्रि 8:47 बजे तक रहेगी, तीन को शाम 7:20 तक रहेगी अष्टमी

-3 सितम्बर को रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8:05 बजे तक रहेगा

<-ख् सितम्बर को सप्तमी तिथि रात्रि 8:ब्7 बजे तक रहेगी, तीन को शाम 7:ख्0 तक रहेगी अष्टमी

-फ् सितम्बर को रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8:0भ् बजे तक रहेगा

BAREILLY BAREILLY :

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार त्रिपुष्कर और सिद्धि योग बन रहे हैं। इस योग में अपनी राशि के अनुसार श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना कर बडे़ से बड़े कर्ज एवं परेशानियों से जातक छुटकारा पा सकते हैं। बालाजी ज्योतिष संस्थान के च्योतिषाचार्य पण्डित राजीव शर्मा ने बताया कि ख् सितम्बर रविवार को सप्तमी तिथि रात्रि 8:ब्7 बजे तक रहेगी। तीन सितम्बर शाम 7:ख्0 तक अष्टमी तिथि रहेगी। दो सितंबर की खास बात यह है कि प्रात: म्:00 बजे से रात्रि 8:ब्7 बजे तक त्रिपुष्कर योग एवं रात्रि 8:ब्7 बजे से अगले दिन प्रात: म्:0क् तक सिद्ध योग भी है। इसलिए 0ख् सितम्बर की रात्रि पूजन के लिए श्रेष्ठ है। 0फ् सितम्बर सोमवार को अष्टमी तिथि शाम 7:ख्0 बजे तक एवं रोहिणी नक्षत्र योग रात्रि 8:0भ् बजे तक ही व्याप्त है। पण्डित राजीव शर्मा ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के त्रिपुष्कर योग एवं सिद्ध योग में अपनी राशि के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना कर बडे़ से बड़े कर्ज एवं परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

राशि के अनुसार ये करें उपाय

-मेष राशि: इस राशि के जातकों को सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा लाल चंदन से करनी चाहिए।

-वृष राशि: इस राशि के जातक संतान प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण को गोपी चंदन लगा कर करें पूजा।

-मिथुन राशि: इस राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण पर तुलसी जल एवं मंजरी जरूर चढ़ाएं

-कर्क राशि: भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए गाय के कच्चे दूध से भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक करें

-सिंह राशि: इस राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को धातु की बांसुरी चढ़ाएं

-कन्या राशि: इस राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण की पूजा में पंजीरी का भोग अवश्य लगाएं

-तुला राशि: इस राशि वालों को पूजा के उपरांत विशेष रूप से माखन मिश्री भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाना चाहिए। इसके प्रभाव से व्यापार में सफलता प्राप्ति के साथ धन वृद्धि होगी।

-वृश्चिक राशि: इस राशि के जातकों को भगवान श्री कृष्ण का शहद से अभिषेक करना चाहिए

-धनु राशि: इस राशि के जातकों को भगवान श्री कृष्ण की पूजा पीले फूलों से करने के साथ पीताम्बर चढ़ाना चाहिए

-मकर राशि: इस राशि के जातकों को मोर के पंख भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाना चाहिए व कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए

-कुंभ राशि: इस राशि के जातकों को गंगा जल से भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक करना चाहिए जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी

-मीन राशि: इस राशि के जातकों को भगवान श्रीकृष्ण का गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए

कैसे करें पूजा

जन्माष्टमी के दिन प्रात: स्नान करने के बाद श्रीकृष्ण भगवान के लिए उपवास एवं भक्ति करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर कलश पर आम के पत्ते या नारियल स्थापित करें व कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठें। एक थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी, दाल, मौली, कलावा रख लें। खोए का प्रसाद, ऋतु फल, माखन मिश्री लें और चौकी के दाहिनी तरफ घी का दीपक प्रच्जवलित करें। इसके पश्चात वासुदेव देवकी नन्द की पूजा अर्चना करें। दिन मे व्रत रखने के बाद रात्रि 8:00 बजे पुन: पूजा आरम्भ करें। एक खीरे को काटकर उसमें श्रीकृष्ण का विग्रह रूप स्थापित करें अर्थात् श्री कृष्ण अभी मां के गर्भ में हैं। इसके बाद रात्रि क्0:00 बजे विग्रह अर्थात गोपाल को खीरे से निकाल कर पंचामृत से उसका अभिषेक करें। पंचामृत में विद्यमान दूध से वंश वृद्धि, दही से स्वास्थ्य, घी से समृद्धि, शहद से मधुरता, बूरा से परोपकार की भावना एवं गंगा जल से भक्ति की भावना प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण को पंचामृत का अभिषेक शंख से करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है। इसके बाद तीसरे चरण की पूजा रात्रि क्ख्:00 बजे आरम्भ करें। क्योंकि श्रीकृष्ण जी का इस धरती पर प्राकट्य रात्रि क्ख्:00 बजे हुआ था। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती क्क् अथवा ख्क् बत्तियों के दीपक से करें।

कैसे करें व्रत का पारण

प्रत्येक व्रत के अंत में पारण होता है। जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है। ब्रह्मावैवर्त पुराण, काल निर्णय के अनुसार जब तक अष्टमी चलती रहे या उस पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक पारण नहीं करना चाहिए। अत: उस तिथि तथा नक्षत्र के अन्त में ही पारण करना चाहिए। व्रत का पारण नंदोत्सव में कढ़ी चावल से करें एवं तुलसी की पूजा करें। इस प्रकार व्रत पारण करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और नि:संतान दंपति को संतान प्राप्त होती है।