रांची (ब्यूरो)। कोरोना से संक्रमित होने के बाद हाजी हुसैन अंसारी को मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वे डायबिटीज के पेशेंट तो थे ही, उनकी हार्ट की सर्जरी भी हो चुकी थी। कई बार वे मेदांता हॉस्पिटल में ही भर्ती कराया गया था, लेकिन हर बार वे स्वस्थ होकर घर वापस लौटे थे। इस बार कोरोना ग्रस्त होने के बाद वे रिकवर नहीं कर पाए। हालांकि, एक दिन पहले यानी शुक्रवार की शाम को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वे रात में ठीक भी थे, लेकिन अचानक शनिवार को दिन में उनकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें वेंटिलीटर पर रखा गया था। दिन के 3.30 बजे उनकी मौत हो गई।
कांग्रेस छोड़कर झामुमो में आए थे
हाजी हुसैन अंसारी ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। उन्होंने 90 के दशक में कांग्रेस छोड़कर झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन का साथ देने के लिए झामुमो ज्वाइन किया था। करीब सात सालों तक संतालपरगना क्षेत्र में सक्रिय रहकर उन्होंने झारखंड आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह थी कि पार्टी ने उन्होंने हर बार मधुपुर से टिकट दिया था। वे शिबू सोरेन के काफी करीबी भी थे। उन्होंने मधुपुर सीट से 1995, 2000 और 2010 और 2019 में चुनाव में जीत हासिल की थी। 2004 में उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुना गया था।


मधुपुर में होगा अंतिम संस्कार
हाजी हुसैन अंसारी के दो बेटे हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र मधुपुर में ही मंत्री के अंतिम संस्कार का फैसला लिया है। इरबा स्थित मेदांता से शाम लगभग 4.30 बजे उनका पार्थिव शरीर परिजनों को सौंप दिया गया। इसके बाद परिजनों ने बताया कि वे शव मधुपुर ले जाएंगे और वहीं रविवार को दिन में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मंत्री श्री अंसारी के निधन पर सीएम हेमंत सोरेन, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मिथिलेश ठाकुर, बादल पत्रलेख, आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, (सभी कैबिनेट मंत्री) समेत झामुमो महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्या, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व गृह राज्य मंत्री सुबोधकांत सहाय समेत बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी ओर से श्रद्धांजलि दी है। ज्यादातर ने सोशल मीडिया पर उनकी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
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