छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : बारिश और फिर गर्मी ने डेंगू और मलेरिया के मच्छरों को निमंत्रण दे दिया है। घरों के आसपास, छतों पर, सरकारी व पुरानी इमारतों पर रखे कबाड़ और टायरों में बारिश का पानी भर जाने से मच्छर के लारवा पनपने लगे हैं। डॉक्टरों की मानें तो बरसाती पानी के जमा होने के एक सप्ताह के अंदर ही लारवा डेंगू के मच्छर के रूप में जन्म ले लेता है। इनकी चपटे में आकर स्वस्थ आदमी भी बीमार हो सकता है।

गढ्डे में पनप रहा लारवा

शहर में विभिन्न जगह खाली पड़े प्लॉटों और निर्माणधीन मकानों में भी मच्छरों का लारवा पनप रहा है। इसके अलावा घरों के आपस गढ्डों में भी मच्छर का प्रकोप जारी है। लेकिन मलेरिया विभाग अभी तक हरकत में नहीं आया है। इन इलाकों की पहचान भी अभी तक नहीं की गई है। शहर में मच्छरों की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए गए हैं। जगह-जगह गढ्डों नालियों में पानी ठहरा हुआ है। इस पानी में बदबू समेत मच्छर पनप रहे हैं। शाम होते ही मच्छरों के हमले से शहरवासियों का बुरा हाल हो जाता है। अस्पतालों में साधारण बुखार के मरीजों में इजाफा हुआ है।

जमा है बारिश का पानी

एमजीएम हॉस्पीटल में बारिश का पानी सड़ रहा है। इससे वहां काफी संख्या में मच्छर के लारवा पनप रहे है। लिहाजा मरीजों का इलाज करने वाला एमजीएम खुद मच्छरों को आमंत्रण दे रहा है।

रोजाना 4 से 5 आ रहे मरीज

जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो मेल-फीमेल मेडिकल वार्ड में रोजाना 4 से 5 मरीजों में मलेरिया की पुष्टि हो रही है। वहीं, बुखार के रोजाना ओपीडी में 50 से 60 आ रहे हैं। मलेरिया की आशंका को देखते हुए 4 से 5 मरीजों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। इसके साथ ही तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण अस्पतालों में मौसम जनित बीमारियों से ग्रसित मरीजों की भी संख्या बढ़ रही है।

दवा छिड़काव के निर्देश

सिविल सर्जन डॉ एसके झा ने शहर में एंटी लार्वा एक्टिविटी के लिए 80 ट्रेनी एएनएम को दवा और काले तेल के छिड़काव के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि पूरे जून मंथ को मलेरिया रोधी माह के रूप में मनाया गया। इस दौरान एएनएम सेंटर में एएनएम की वर्कशाप में एंटी लार्वा संबंधित जानकारी दी गई है। साथ ही इन 80 प्रशिक्षु को फील्ड में एंटीलार्वा एक्टीविटी के लिए उतारा गया है।

समय पर नहीं मिलती है दवा

स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया के तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कुछ इलाकों को मलेरिया जोन घोषित जरूर किया है। इन दिनों जिले के कई हेल्थ सब सेंटर व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मलेरिया की दवा समय पर नहीं पहुंच पाती है। सेंटरों पर कर्मचारियों की कमी है। इसके कारण मरीजों को दवा के लिए भटकना पड़ता है।

मरीजों तक नहीं पहुंच रही सुविधा

मलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई कार्यक्त्रम चलाए जाते हैं लेकिन सुविधाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण कर्मचारियों की कमी व फंड का अभाव बताया जा रहा है। पिछले साल के अक्टूबर महीने से ही एमपीडब्लू (मल्टी पर्पस वर्कर्स) कर्मचारियों के हटाने के बाद से मलेरिया जोन एरियाज में अभियान पूरी तरह से ठप पड़ गया है।

95 एमपीडब्ल्यू हुए थे बहाल

नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत जिले में कुल 95 एमपीडब्लू बहाल हुए थे। मलेरिया से निपटने के लिए तरह-तरह के कार्यक्त्रम चलाना और पेसेंट्स की जांच और उन्हें दवा उपलब्ध कराने का काम एमपीडब्ल्यू का था। इसके लिए वह घर-घर जाकर सर्वे के के जरिए मरीजों की पहचान की जाती थी। जिले में कुल 2345 सहिया व करीब 1200 एएनएम कर्मचारी हैं। फिलहाल मलेरिया उन्मूलन का काम इन्हीं के जिम्मे है।

खाली है मलेरिया अधिकारी का पद

ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट में मलेरिया पदाधिकारी का पिछले 15 दिनों से खाली पड़ा है। डॉ बीबी टोपनो जिले में मलेरिया पदाधिकारी थीं। फिलहाल उनका ट्रांसफर चाईबासा हो गया है। मलेरिया पदाधिकारी नहीं रहने से भी मलेरिया रोधी अभियान में विभाग को परेशानी हो रही है।

86 सेंटर मलेरिया जोन में

जिले में कुल 244 हेल्थ सब सेंटर हैं। इनमें 86 सेंटरों को मलेरिया जोन के रूप में घोषित किया गया है। मानगो, घाटशिला, मुसाबनी, जादूगोड़ा व पोटका स्थित सब सेंटरों में तो दवा की किल्लत रहती है। साथ ही मरीजों की जांच के लिए कर्मचारी भी नहीं है। किसी तरह सहिया व एएनएम के माध्यम से काम चलाया जा रहा है।

एक साल में 16000 मौतें मलेरिया से

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में प्रति वर्ष मलेरिया से 16000 से अधिक लोग जान गंवा देते है। साथ ही मलेरिया का खतरा सालों भर बना रहता है। मानसून में और इसके ठीक बाद इसका खतरा खास बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आकलन भी बेहद चिंता का विषय है कि भारत में मलेरिया के 40-50 फीसदी मामले खतरनाक किस्म के मलेरिया के हो रहे हैं।

एमजीएम और सदर हॉस्पीटल में मलेरिया के मरीजों की बढ़ी तादाद

इस साल एमजीएम हॉस्पीटल में साधारण बुखार के बाद मलेरिया की पुष्टि 50 से अधिक मरीजों में हुई है। सदर अस्पताल में भी 30 से अधिक मरीजों में मलेरिया की पुष्टि हुई है। 50 से अधिक मरीज दूसरे सब सेंटरों में पाए गए हैं। जबकि इन हॉस्पीटलों में सैकड़ों मरीज बुखार से पीडि़त भर्ती हो रहे हैं। हालांकि इस साल डेंगू के एक भी मरीजों के मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन मलेरिया जोन होने के कारण डेंगू के मरीजों की आशंका बढ़ गई है।

आंकड़ों पर एक नजर

वर्ष मलेरिया ब्रेन मलेरिया

2011 4492 3701

2012 5218 3323

2013 3527 2348

2014 3937 3022

2015 97 000

वर्जन

मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग पूरी तरह से काम कर रहा है। हमारे पास सभी तरह की दवाएं हैं। कुछ इलाकों में दवाओं का भी छिड़काव भी कराया गया है।

डॉ श्याम झा, सिविल सर्जन