-एप डाउनलोड कर हैक किए जा रहे मोबाइल

-धड़ल्ले से यूज हो रहे मोबाइल हैकिंग एप

-आईटी एक्सपर्ट भी बोले, इन एप का यूज कर शातिर कर रहे खेल

kumar.abhishek@inext.co.in

JAMSHEDPUR: गूगल, एक ऐसी जगह जहां हर बीमारी का इलाज है। फिर चाहे स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो या फिर एजुकेशन या जनरल नॉलेज की। मगर पिछले कुछ दिन से गूगल के साइड इफेक्ट ने लोगों को परेशान कर रखा है। गूगल प्ले स्टोर में हजारों एंड्रॉयड एप उपलब्ध हैं, जिनका यूज यूथ अपने मनमुताबिक कर रहे हैं। मगर इन एप में सबसे अधिक डाउनलोड वे किए जा रहे हैं, जिनसे दूसरे के मोबाइल हैक किए जा सकते हैं। इससे शहर के लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। गूगल प्ले स्टोर से ऐसे एप डाउनलोड करने के लिए न तो कोई चार्ज है और न ही किसी तरह की कोई पाबंदी। कई युवा इस एप का यूज मौज-मस्ती में कर रहे हैं तो कई शातिर इसे दूसरे का डाटा चुराने में। पुलिस भी मान रही है कि शहर में कुछ शातिर नई टेक्नोलॉजी का यूज कर रहे हैं। मगर इन हाइटेक्स क्राइम को रोकने या सॉल्व करने के लिए पुलिस के पास कोई खास इंतजाम नहीं हैं।

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केस वन-

दोस्त के पास गया अश्लील मैसेज

एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले सुनील महतो ने बताया कि पिछले माह उसने पहली बार इंटरनेट का पैक डलवाया था। कुछ दिन बाद उसके एक दोस्त के पास अश्लील सा मैसेज गया। मैसेज जिस नंबर से भेजा गया था, वह सुनील का था। दोस्त होने के कारण उसने कुछ नहीं बोला और उसे दोबारा न भेजने का मैसेज भेज दिया। इसके बाद सुनील परेशान हो गया। आखिर ऐसा क्या हो गया कि दोस्त ने मैसेज भेजने से मना कर दिया। पूछने पर जब पता चला तो सुनील परेशान हो गया। सुनील ने इस बारे में कई दोस्तों और एक्सपर्ट से बात की, लेकिन कोई इसका सॉल्यूशन नहीं बता सका।

केस-ख्

बिना यूज के घटने लगा डाटा

बागबेड़ा में रहने वाले लव चौबे ने बताया कि पिछले माह मोबाइल में इंटरनेट पैक डलवाया था। कुछ दिन ठीक चला। फिर अचानक यूज न करने के बावजूद डाटा पैक कम होने लगा। कॉल सेंटर पर फोन कर जानकारी ली तो पता चला कि कंपनी ने डाटा नहीं काटा है बल्कि यूज किया गया। जबकि लव ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट से कोई सर्फिग नहीं की। इसके बावजूद लगातार डाटा पैक खत्म होता गया। परेशान होकर लव ने सिम ही चेंज कर दिया। अब सब ठीक चल रहा है।

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ये कानूनन अपराध है

हैकिंग एप की हेल्प से मोबाइल के पर्सनल डाटा को यूजर की जानकारी के बिना शेयर किया जा रहा है। जो आईटी एक्ट का पूरी तरह से उल्लंघन है। ऐसे मामलों की शिकायत आने पर पुलिस अपराधिक मामला मान कर रिपोर्ट पर दर्ज करती है। डाटा न चुराते हुए किसी को परेशान करना भी कानूनन अपराध है। हालांकि ऐसे अधिकांश मामले मस्ती-मजाक से शुरू होते हैं, मगर सीरियस कंडीशन तक पहुंच जाते हैं।

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इंटरनेट का बढ़ रहा क्रेज

-शहर के करीब ख्भ् परसेंट से अधिक लोग विभिन्न मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर पर इंटरनेट का यूज कर रहे हैं।

-शहर के म्0 परसेंट से अधिक यूथ इंटरनेट का यूज कर रहे हैं।

-एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्टम बेस्ट मोबाइल का यूज करने वाले शहर में करीब 70 परसेंट से अधिक लोग हैं।

(मोबाइल कंपनियों से बातचीत पर आधारित)

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ये हैं नुकसान

-आपके मोबाइल की आईडेंटी से ही हैकर किसी को कॉल और मैसेज कर सकता है।

-वे जानकारी, जो आप किसी से शेयर नहीं करना चाहते हैं, वे भी हैंकिंग एप से लीक हो सकती है।

-आपरेटिंग सिस्टम की कई डिफॉल्ट सेटिंग पर भी ऐसी एप का असर पड़ सकता है। इससे मोबाइल की स्पीड अचानक काफी स्लो हो रही है।

-आपकी आईडेंटी से हैकर कॉल या मैसेज कर कोई क्राइम भी कर सकता है।

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इन नामों से मिलता है हैकिंग एप

-मोबाइल डायलर

-फनी रॉकेट

-मोबाइल इंटर चैटिंग

-ब्लूटूथ लॉन्चर

-हिडन कैमरा

-हैक टू मोबाइल

-मोबाइल गैलरी

-फोन सेफ्टी एप

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ऐसे बच सकते हैं

-ब्लूटूथ से हर किसी से डाटा शेयर न करें।

-मस्ती मजाक के लिए हैकिंग एप का यूज न करें। ये खतरनाक हो सकता है।

-मोबाइल फोन हैक न हो इसके लिए जहां तक हो सके गूगल प्ले स्टोर से ही एप डाउनलोड करें। अन्य प्लेस से लिया हुआ एप सेफ नहीं होता है।

-वाई-फाई जोन का यूज करने पर मिलने वाले हर नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ने और समझने के बाद ही ओके करें।

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मोबाइल हैकिंग के कई मामले सामने आ रहे हैं। ये मामले कोई नए नहीं है। अधिकांश इसके शिकार वे लोग हो रहे हैं, जिन्हें मोबाइल की अधिक जानकारी नहीं है। वे समझ ही नहीं पाते कि उनके मोबाइल या डाटा के साथ क्या हो रहा है। हैकिंग एप और सॉफ्टवेयर के जरिए ऐसी गड़बड़ी की जा रही है।

-मुकुल पांडेय, सॉफ्टवेयर इंजीनियर

एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्टम पर ओपेन मार्केट में किसी भी शख्स के बनाए हुए एप या सॉफ्टवेयर स्वीकर कर लिए जाते हैं। इससे कई बार यूजर को पता भी नहीं चलता कि वह जिस काम के लिए एप डाउनलोड कर रहे हैं, वह वर्क करेगा भी या नहीं। कई बार ऐसे ही एप डाउनलोड करने के बजाए हैकिंग एप डाउनलोड कर लेते हैं। हैकिंग करने वालों का पता करना काफी टेढ़ी खीर होता है। साइबर एक्सपर्ट के लिए भी ये जानकारी जुटाना आसान नहीं होता है।

-यूपी शाह, आईटी एक्सपर्ट