-एमजीएम में पड़ी है 80 लाख की मशीन

-एक यूनिट ब्लड बचाएगी चार की जान

JAMSHEDPUR: शहर के लोगों के लिए खुशखबरी है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का ब्लड कंपोनेंट सेंटर जल्द ही शुरू होने वाला है। सेंटर की शुरुआत करने को लेकर एमजीएम के सुपरिंटेंडेंट डॉ आरवाई चौधरी ने ब्लड बैंक के डॉक्टर्स के साथ मीटिंग की। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के दबाव में यह निर्णय लिया गया। सेंटर खुलने से बड़ा फायदा यह होगा कि मात्र एक यूनिट ब्लड से तीन से चार पेसेंट्स की जान बचाई जा सकेगी। मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी रेफर नहीं करना पड़ेगा और नि:शुल्क उपचार भी मिलेगी।

धूल फांक रही मशीन

ब्लड बैंक में 80 लाख की ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर (बीसीएस) मशीन धूल फांक रही है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) की ओर से मई ख्0क्क् में यह मशीन उपलब्ध करायी गई थी, लेकिन तब से लेकर आज तक मशीन शुरू नहीं हुई। इसपर विभाग ने चिंता जाहिर की है। आला अधिकारी लापरवाही बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर ब्लड बैंक के डॉक्टर्स लाइसेंस नहीं मिलने की बात कह रहे हैं।

क्यों नहीं शुरू हुई मशीन?

वर्ष ख्0क्क् में मशीन के संचालन के लिए ब्लड बैंक में मानक के अनुसार जगह उपलब्ध नहीं थी। कुछ दिनों बाद ब्लड बैंक परिसर में ही इसे इंस्टॉल करने के लिए दो कमरों को मिलाकर जगह बनाई गई। लेकिन, ख्0 अक्टूबर ख्0क्क् को भवन को छज्जा क्षतिग्रस्त हो गया। इसकी मरम्मत होने में काफी समय बीत गया। उसके बाद से अब तक मशीन के संचालन के लिए लाइसेंस नहीं मिल सका है।

किसको कौन सा कंपोनेंट

खून में मुख्यत: चार से पांच कंपोनेंट होते हैं, जिन्हें आवश्यकता अनुसार मरीज को चढ़ाया जाता है। कंपोनेंट में आरबीसी (रेड ब्लड कार्पल), डब्ल्यूबीसी (व्हाइट ब्लड कार्पल), प्लेटलेट्स और प्लाज्मा शामिल हैं। हीमोग्लोबिन कम होने पर मरीज को आरबीसी, कैंसर मरीज को डब्ल्यूबीसी, डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स और जले मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया जाता है।

बीसीएस मशीन काफी मंहगा है। इसके शुरू होने से गरीब मरीजों को काफी फायदा होगा। एक यूनिट रक्त से चार मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। इसे शुरू करने का निर्देश दिया गया है।

- डॉ। आरवाई चौधरी, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम