-एमजीएम में तीन करोड़ का गड़बड़झाला

-हॉस्पिटल से तीन किमी दूर है कॉलेज

-कॉलेज में लैब की उपयोगिता पर उपसचिव ने उठाया सवाल

-कैथ लैब की आवंटित धनराशि पर लगाई रोक

JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में एक और नया कारनामा सामने आया है। हॉस्पिटल की बजाय कॉलेज में ही कैथ लैब को बनवा दिया है। इससे खफा स्वास्थ्य विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने पूछा है कि ऐसी गलती क्यों हुई?

निकासी पर रोक

दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के अनुरूप एमजीएम मेडिकल कॉलेज को तैयार करने के लिए जल्दी बाजी में कई अहम निर्णय लिए गए है। इसमें कई अनियमिता सामने आने की बात कही जा रही है। एमसीआई ने निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों की प्रमोशन मानने से इंकार किया है, तो वहीं सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी ने कैथ लैब को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। डिप्टी सेक्रेटरी ने एमजीएम प्रिंसिपल व सुपरीटेंडेंट से पूछा है कि कैथ लैब का निर्माण हॉस्पिटल की बजाय कॉलेज में क्यों किया गया। इस संदर्भ में जवाब नहीं मिलने के कारण आवंटन पर रोक लगा दी गई है।

बढ़ेगी मरीजों की परेशानी

डॉक्टरों का मानना है कि कैथ लैब का निर्माण हॉस्पिटल में ही होना चाहिए। इससे हॉस्पिटल में ही स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल की सुविधा मिलती। यह स्टूडेंट्स के लिए बेहतर होता। एमजीएम हॉस्पिटल है शहर में स्थित है। ऐसे में अगर किसी मरीज को हार्ट से संबंधित कुछ परेशानियां होती है तो उसे कम समय में बेहतर इलाज मिल सकेगा। वहीं एमजीएम कॉलेज जाने के लिए ट्रैफिक की समस्या से जूझते हुए तीन किलोमीटर अधिक दूरी तय करना होगा। इससे मरीजों को काफी परेशानियां बढ़ सकती है।

हर साल रेफर होते हैं क्00 से अधिक मरीज

एमजीएम हॉस्पिटल से हर साल एक सौ से अधिक पेशेंट्स कोलकाता, रांची या देश के अन्य हॉस्पिटल्स के लिए रेफर किए जाते हैं। वहां पर मरीजों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी या बैलूनिंग होती है। इसपर डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च आते हैं। केवल एंजियोग्राफी दस से पंद्रह हजार में होती है।

फोर योर इन्फॉर्मेशन

क्या होता है कैथ लैब?

दिल की जांच और इलाज करने के लिए हॉस्पिटलों में अलग से कैथ लैब का इस्तेमाल किया जाता है। लैब में मौजूद मशीनों के जरिए आसानी से मॉनीटर पर हार्ट को देखकर बीमारी का पता लगाया जाता है। कैथ लैब में एंजियोग्राफी, एंटीनियोप्लास्टिक सहित सभी आधुनिक मशीनें होती हैं। इसमें हार्ट ब्लॉक से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाता है।

कैथ लैब निर्माण कॉलेज में ही होना था, इसका शिलान्यास तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद ने किया था। शिलान्यास समारोह में मंत्री बन्ना गुप्ता भी शामिल हुए थे। प्रोटोकॉल के तहत मैं भी समारोह में मौजूद था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई चिट्ठी आई है ऐसी कोई जानकारी मुझे नहीं है। वैसे भी निर्माण कार्य हॉस्पिटल मैनेजमेंट का है।

-डॉ। एएन मिश्रा, प्रिसिंपल, एमजीएम कॉलेज

सरकार के उपसचिव का पत्र आया है। इसमें कैथ लैब को अस्पताल की बजाय कॉलेज में बनाए जाने पर सवाल पूछा गया है। इसके साथ ही आवंटित राशि पर भी रोक लगाने की बातें कही गई हैं।

- डॉ। आरवाई चौधरी, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम