jamshedpur@inext.co.in

JAMSHEDPUR: स्कूल ऑटो और वैनों में लगातार हो रहे हादसों के बाद भी न तो गार्जियन चेते हैं और न ही प्रशासन। स्कूलों में निजी तौर पर चलने वाले वाहनों में बच्चों के लिए सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। खौफ के साए में बच्चे स्कूल पढ़ने जा रहे हैं। स्कूल और घर के बीच का सफर उनके लिए सुरक्षित नहीं है। नतीजा बच्चों के साथ रोज एक्सीडेंट। कभी कभार ये घटनाएं मीडिया के सामने आती हैं, लेकिन अधिकतर मामले स्कूल प्रबंधन, वैन ऑनर दबा देते हैं। गार्जियन भी इन मसलों पर बोलने से कतराते हैं। गुरुवार को आई नेक्स्ट ने विभिन्न स्कूलों में चलने वाले ऑटो और वैनों में रियलिटी चेक किया। स्कूली ऑटो और वैन में बच्चों को किताब-कॉपियों की तरह ठूस-ठूस कर बैठाया जाता है, लेकिन प्रशासन को सरकारी चश्मे से ये चीजें नजर नहीं आती।

स्कूली वाहनों में इस साल हुए हादसे

-म् मई को आरवीएस स्कूल की तीन बच्चियां चलती वैन की डिक्की से घायल हो गई थीं।

-ख्ख् अप्रैल को जेल चौक साकची के पास एक स्कूली बच्ची ऑटो से गिरकर घायल हो गई थी।

-क्म् फरवरी को काशीडीह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ऑटो पलटने से घायल हुए थे।

ऑटो में डर लगता है। ऑटो ड्राइवर काफी तेज चलाते हैं। ब्रेकर, टर्निग में भी गाड़ी स्लो नहीं करते हैं।

आयुष

ऑटो में सेफ्टी के लिए कुछ नहीं होता है। सेफ्टी रॉड भी सिर्फ दिखाने के लिए है। पुलिस भी कुछ नहीं करती है।

अनिमेष

ऑटो में बैठने में डर लगता है, लेकिन स्कूल तो रोज आना ही है। इसके लिए पुलिस को कुछ करना चाहिए।

ईशिता

कई बार बच्चे गिर जाते हैं। अब लगता है कि स्टूडेंट्सको ही कुछ करना होगा। ओवर लोडेड ऑटो में नहीं बैठना चाहिए।

रौनक

ऑटो काफी कंजस्टेड होता है। कहां बैग रखें और कहां पैर पता ही नहीं चलता है। कई बार तो गोद में बैठकर सफर करना पड़ता है।

आदित्य

हिचकोले खाते ऑटो में कब कहां दुर्घटना हो जाए गारंटी नहीं है। ब्रेकर और टर्निग के पास अक्सर बच्चे गिर जाते हैं।

अदीता

ओवर लोडिंग के इश्यू पर पुलिस और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन पूरी तरह से गंभीर है। मंडे से शहर में इंप्लीमेंट हो जाएगा। पूरे डिस्ट्रिक्ट में ऐसे ऑटो और वैनों को आइडेंटिफाई कर कार्रवाई की जाएगी।

चंदन झा, सिटी एसपी