-2012-13 सेशन में को-ऑपरेटिव कॉलेज में 31 कैंडीडेट्स से एडमिशन फीस का ड्राफ्ट जमा लिया गया था पर एडमिशन नहीं हुआ था

-दिल्ली के एक पब्लिशर द्वारा लगभग 45 लाख की किताब कॉलेज पहुंचाई गई थी, जो फर्जी तरीके से किया गया था

-डॉ दास ने कहा, टाटा कॉलेज चाईबासा के प्रोफेसर इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई

-फ्राइडे को ही आई नेक्स्ट में छपी थी खबर, सिंडिकेट मीटिंग के बाद डॉ दास को सस्पेंशन लेटर थमा दी गई

JAMSHEDPUR: को-ऑपरेटिव कॉलेज में ख्0क्ख्-क्फ् सेशन में बीएड में फ्क् कैंडीडेट्स के एडमिशन को लेकर ड्राफ्ट जमा लिए जाने और कॉलेज में दिल्ली के एक पब्लिशर द्वारा लगभग ब्भ् लाख की किताबें फर्जी तरीके से पहुंचाए जाने को लेकर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके दास को सस्पेंड कर दिया गया है। फ्राइडे को केयू की सिंडिकेट मीटिंग के बाद डॉ दास को सस्पेंशन लेटर दिया गया। फिलहाल डॉ एसएस रजी को डॉ दास की जगह चार्ज देने की बात सामने आ रही है। फ्राइडे को ही आई नेक्स्ट में को-ऑपरेटिव कॉलेज में बीएड और किताब घोटाले की खबर पब्लिश हुई थी।

क्या था मामला?

को-ऑपरेटिव कॉलेज में ख्0क्ख्-क्फ् सेशन में बीएड एडमिशन में गड़बड़ी सामने आई थी। उस सेशन में फ्क् वैसे कैंडीडेट्स से एडमिशन फीस का ड्राफ्ट जमा लिया गया था जिनका नाम मेरिट लिस्ट में था ही नहीं। उसी बीच एनसीटीई की टीम के आने की वजह से उन फ्क् कैंडिडेट्स का एडमिशन नहीं हो पाया था। बाद में कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने किसी स्टाफ द्वारा ड्राफ्ट लिए जाने से भी मना कर दिया था। दूसरा मामला किताब घोटाले को लेकर था। कॉलेज द्वारा दिल्ली के एक पब्लिशर से लाइब्रेरी के लिए लगभग क्म् लाख की किताबें मंगवाई गई थीं। उस पब्लिशर ने दोबारा भी लगभग ब्भ् लाख की किताबें कॉलेज भेज दीं। कॉलेज का कहना था कि दोबारा ऑर्डर नहीं दिया गया जबकि पब्लिशर ऑर्डर की बात कर रहा था। आई नेक्स्ट लगातार इन मुद्दों को उठाया था।

सुमिता मुखर्जी को हटाया गया

कोल्हान यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने वीमेंस कॉलेज की प्रोफेसर इंचार्ज डॉ सुमिता मुखर्जी को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह सुजाता सिन्हा को प्रोफेसर इंचार्ज बनाया गया है। डॉ मुखर्जी और कोल्हान यूनिवर्सिटी के बीच काफी विवाद होते रहे हैं। फाइनली केयू ने एक्शन ले ही लिया।

टाटा कॉलेज चाईबासा की प्रोफेसर इंचार्ज को क्यों छोड़ दिया

सस्पेंशन से नाराज डॉ आरके दास ने कहा कि यूनिवर्सिटी द्वारा सभी के लिए एक नियम बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टाटा कॉलेज चाईबासा में ख्0क्ख्-क्फ् सेशन में बीएड में फ्0 एडमिशन फर्जी तरीके से लिया गया था और प्रोफेसर इंचार्ज ने इसे माना भी था पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। डॉ दास ने कहा कि किताब के मामले में भी उन्होंने सच्चाई यूनिवर्सिटी को बता दी थी जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी।

अगर मुझे हटाए जाने की बात थी तो इसे सिंडिकेट में भी रखा जाना चाहिए था। मीटिंग के बाद मुझे सस्पेंशन लेटर दिया गया। हमारे कॉलेज में तो फ्क् कैंडीडेट्स का बीएड में एडमिशन लिया भी नहीं गया था जबकि टाटा कॉलेज चाईबासा में तो खुलेआम गलत तरीके से एडमिशन लिए जाने की बात सामने आई पर वहां के प्रोफेसर इंचार्ज को बरी कर दिया गया। गलत तरीका अपनाया गया है।

- डॉ आरके दास, प्रिंसिपल को-ऑपरेटिव कॉलेज