CHAIBASA : आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से मंगलवार को डीसी ऑफिस के सामने आदिवासी-मूलवासी विरोधी डोमिसाइल प्रारूप को लेकर धरना दिया। धरना के बाद मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा गया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आदिवासी और मूलवासियों के लिए स्थानीयता का मामला झारखंड की आत्मा के समान है। झारखंडी जन विगत क्ब् वर्षो से आत्माविहीन शरीर ढोने को मजबूर है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने इसे परिभाषित करने की गंभीरता दिखाई है, इसके लिए धन्यवाद, लेकिन जिस प्रकार क्8 मार्च की बैठक में आपके गठबंधन ने क्भ् नवंबर ख्000 को कट ऑफ डेट मानकर स्थानीयता तय करने की मंशा जाहिर की वह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह आदिवासी-मूलवासी के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी को जड़-मूल उजाड़ने का एक षडयंत्र प्रतीत होता है। भारत में विकास के नाम से पहले भी झारखंड में आदिवासियों की करीब फ्0 लाख एकड़ जमीन छीन कर लगभग फ्0 लाख आदिवासियों को विस्थापित किया जा चुका है, जिनका अब तक कोई न्यायपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है। अब लगता है कि सरकार वर्ष ख्000 या उसके आसपास वाली डोमिसाइल लागू कर लगभग फ् लाख सरकारी नौकरी से आदिवासी-मूलवासी को विस्थापित करने का व्याकुल है।

झामुमो के पास नहीं है प्रारूप

प्रमुख विपक्षी दल झामुमो के पास तो झारखंडी डोमिसाइल नीति का कोई प्रारूप तक नहीं है और जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए विरोध का ढोंग जारी है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि स्थानीय वहीं है जो झारखंडी है। उनकी पहचान झारखंडी भाषा-संस्कृति और जाति है। उन्होंने कहा कि सभी बहाली का 90 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीणों को प्रखंड वार मिले। इसका विस्तृत प्रारूप पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ख्फ् अगस्त ख्0क्फ् को भेजा गया था, लेकिन वह बेकार साबित हुआ। मौके पर भगवान सिंकू, विनोद गोप, सूबेदार बिरुवा, वीरेंद्र बालमुचू, कृष्ण कुमार सिंकू, संजय सवैया, सुखलाल सामड, शुभनाथ हेम्ब्रम, आशीष कुदादा, मोटाय बास्के, प्रेमशीला मुर्मू, गुरा सिंकू, राजा बालमुचू, मंगल बांसिंह, रेंगो बिरुली सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।