-प्रारूप के हिसाब नहीं हुआ कोई काम,
-इको सेंसटिव जोन के दायरे में आने वाले क्रेसर व ईट-भट्ठे चल रहे हैं
JAMSHEDPUR: दलमा इक्को सेंसेटिव जोन तो घोषित किया गया, लेकिन आज भी प्रारूप के हिसाब कोई काम नहीं हुआ। कई कमिटियां बनीं, बैठकों का दौर चला, रिजल्ट जीरो रहा। इको सेंसटिव जोन के दायरे में आने वाले क्रेसर व ईट-भट्ठे चल रहे हैं।
भ्ख्ख्.98 वर्ग किमी में
सरकार द्वारा घोषित इक्को सेंसेटिव जोन भ्ख्ख्.98 वर्ग किमी में फैला है। इसमें 8भ् गांव शामिल हैं, जिसमें गैर वन क्षेत्र ख्00.ख्8 वर्ग किमी और वन का क्षेत्र है क्98.फ्0 वर्ग किमी। इसके अलावा संरक्षित सीमा के बाहर के भ्क् गांवों को इक्को सेंसेटिव जोन में शामिल किया गया है। जिसमे गैर वन क्षेत्र है 80.ब्भ् वर्ग किमी तथा वन का क्षेत्र है ब्फ्.9भ् वर्ग किमी। इस तरह पूर्वी सिंहभूम जिले का फ्77.89 वर्ग किमी तथा सरायकेला-खरसांवा का क्ब्भ्.09 वर्ग किमी क्षेत्रफल इक्को सेंसेटिव जोन में शामिल किया गया है।
इक्को सेंसेटिव जोन के प्रमुख बिंदू
-प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग इक्को सेंसेटिव जोन में नहीं लगेगा।
-लकड़ी पर निर्धारित किसी भी नए उद्योग की स्थापना नहीं होगी।
-फूल, फल, कृषि से संबंधित कार्य करने की अनुमति।
-स्थानीय लोगों को को घरेलू जरूरत के अलावा किसी प्रकार की खनन की अनुमति नहीं होगी।
-क्रेसर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
-दलमा वन्य अभ्यारण्य सभी के फ्00 मीटर के भीतर कंक्रीट का निर्माण नहीं होगा।
-पर्यटन के लिए इको टूरिज्म को बढ़ावा की अनुमति।