CHAIBASA: बिजली-पानी को लेकर शहर में हाहाकार मचा है। ख्7 मई को आयी आंधी-तूफान के बाद बिजली-पानी के संकट से शहरवासी जूझ रहे हैं। भ् दिन से कई क्षेत्र में पानी की सप्लाई नहीं होने से लोग विभाग के प्रति आक्रोशित हो रहे हैं। मजबूरन लोगों को आस-पास के चापाकल से पानी लाकर अपनी जरूरतें पूरी करने में लगे हुए हैं। कई लोग पीने का पानी मोटर साइकिल से लाने को मजबूर हैं। पेयजल विभाग अपने को बचाते हुए बिजली विभाग पर सारा ठिकरा फोड़ रहा है। पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार ने कहा कि ख्7 मई को आये तूफान के कारण ट्रासफार्मर व स्टेबलाइजर जलने के कारण बिजली नहीं मिल पा रहा है। इसकी सूचना मैकेनिकल इंजीनियर ने दी है। इसके अलावा डायरेक्ट लाइन करने के लिए बिजली विभाग से पूरी बिजली नहीं मिल रही। इसके कारण पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है।

चार-पांच दिन से पानी कि किल्लत होने के कारण मजबूरी में फिल्टर हाउस से मोटर साइकिल से पानी को घर ले जाना पड़ रहा है। इससे सभी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

संजीव कुमारए गांधी टोला।

पांच दिन से पानी नहीं आ रहा है। मजबूरी में चापानल का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.च्इससे बच्चे बीमार हो रहे हैं। एक-दो दिन में पानी नहीं मिलेगा तो मजबूरी में मुहल्लेवासी सड़क पर उतरेंगे।

बलमा नंदी, मेरी टोला

पानी और बिजली नहीं रहने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी में कई तरह की परेशानी हो रही है। विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिए।

अंबिका देवी, मेरी टोला।

बिजली और पानी के लिए पूरे मुहल्लेवासी परेशान हैं। पांच दिन से पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। इस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो चूल्हा-बर्तन लेकर सड़क पर उतरना पड़ेगा।

फगनी देवी, मेरी टोला।

आंधी-तूफान में ट्रांसफार्मर व स्टेबलाइजर जलने के कारण पानी की सप्लाई ख्8 मई से बंद है। इसके लिए कार्यपालक अभियंता यांत्रिक को आवेदन देकर ठीक करने निर्देश दिया गया है। इसके अलावा बिजली भी नियमित नहीं मिल पा रहा है। इसी के कारण पानी की आपूर्ति पूरी तरह नहीं की जा सकती है।

सुनील कुमार, कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग।

बीते दिनों आंधी-तूफान के कारण एक ट्रांसफार्मर व स्टेबलाइजर जल गया था। इसकी सूचना रांची भेज दी गई है। जानकारी मिली है कि दिल्ली से स्टेबलाइजर लेकर विभाग के कर्मी आज शाम तक चाईबासा पहुंचेगा। कल तक सारी व्यवस्था ठीक कर दी जायेगी।

पांडू टूटी, मैकेनिकल इंजीनियर चाईबासा