-पावर डेफिसिट से पड़ रहा स्टेट के डेवलपमेंट पर असर

-स्टेट में पर कैपिटा इलेक्ट्रिसिटी कंज्म्पशन नेशनल एवरेज से काफी कम

-कोल रिजर्व के सही इस्तेमाल, रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज को बढ़ावा देकर दूर की जा सकती है इलेक्ट्रिसिटी की प्रॉब्लम

JAMSHEDPUR: पावर शॉर्टेज आम लोगों के जीवन को तो मुश्किल बनाता ही है स्टेट के डेवलपमेंट को भी प्रभावित कर रहा है। हैरानी की बात है कि पिछले क्भ् वर्षो में स्टेट में पावर जेनरेशन बढ़ने के बजाए घटा है। ख्00क्-0ख् में स्टेट में इस्टॉल्ड पावर कैपिसिटी क्फ्90 मेगावाट थी जो अब घटकर क्फ्ख्ब्.0भ् मेगावाट हो गई है। स्टेट में कुल इंस्टॉल्ड पावर कैपिसिटी ख्भ्79.8म् मेगावाट है।

टीएंडडी लॉस के मामले में स्टेट का दूसरा नंबर

ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के दौरान होने वाले लॉस की वजह से पावर शॉर्टेज झेल रहे झारखंड की मुश्किलें और बढ़ाती हैं। स्टेट में ओवरऑल टीएंडडी लॉस अवेलिबिलिटी का ब्0.8 परसेंट है जो जम्मू-कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा है। प्लानिंग कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक ख्00ख्-0फ् से लेकर ख्0क्क्-क्ख् के दौरान टीएंडडी लॉस में कमी तो आई है, लेकिन आज भी यह परसेंटेज अन्य राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा है।

नेशनल एवरेज से कम है एनजीर् कंज्म्प्शन

स्टेट में एवरेज पर कैपिटा इलेक्ट्रिसिटी कंज्म्प्शन भ्भ्ख् यूनिट (प्रति वर्ष) है, जो 7ख्0 यूनिट के नेशनल एवरेज और अन्य डेवलप्ड स्टेट्स की तुलना में काफी कम है। इसकी बड़ी वजह है पावर शॉर्टेज। रूरल एरियाज के साथ-साथ अर्बन एरियाज में भी पावर कट एक बड़ी समस्या है। स्टेट में ख्00 से ब्00 मेगावाट तक पावर डेफिसिट है। ख्0क्म्-क्7 तक स्टेट में इलेक्ट्रिसिटी की डिमांड फ्भ्00 मेगावाट तक होने की उम्मीद है। ऐसे में अगर पावर जेनरेशन बढ़ाया नहीं गया तो स्थिति और गंभीर होगी।

अन्य राज्यों को भी हो सकती है पावर सप्लाई

झारखंड में कोयले की प्रचुर उपलब्धता है। अगर इसे सही तरीके से चैनलाइज किया गया तो स्टेट पावर हब बन सकता है। स्टेट अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ अन्य राज्यों को भी पावर सप्लाई कर सकता है। इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर एटी एंड सी लॉसेज को कम करना भी बेहद जरुरी है। रिन्यूएबल सोर्सेज को डेवलप कर पावर डेफिसिट को कम किया जा सकता है। स्टेट गवर्नमेंट के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के मुताबिक नेशनल एवरेज पर कैपिटा कंज्म्प्शन अचीव करने के लिए ख्ब्00 मेगावाट न्यू कैपिसिटी चाहिए। इसके लिए करीब क्ख् हजार करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट की जरूरत होगी।

झारखंड में इंस्टॉल्ड पावर कैपिसिटी

कोल हाइड्रो रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज टोटल

स्टेट क्क्90.00 क्फ्0.00 ब्.0भ् क्फ्ख्ब्.0भ्

प्राइवेट 900.00 0.00 क्म्.0 9क्म्.00

सेंट्रल ख्म्8.88 70.9फ् 0.00 फ्फ्9.8क्

टोटल ख्फ्भ्8.88 ख्00.9फ् ख्0.0भ् ख्भ्79.8म्

(झारखंड में इंस्टॉल्ड पावर कैपिसिटी, फ्क् जनवरी ख्0क्भ् तक, मेगावाट में)

प्वाइंट टू बी नोटेड

स्टेट में पावर सेक्टर में सुधार के लिए इन रिन्यूएबल सोर्सेज को डेवलप करने की जरूरत है

-बायोमास पावर जेनरेशन

-माइक्रो, मिनी, स्मॉल हाइड्रो पावर स्कीम

-सोलर पावर को बढ़ावा देना

-सॉलिड वेस्ट के जरिए एनर्जी तैयार करना