-बिजली विभाग की लापरवाही से मादा हाथी की मौत

-परिवार के सदस्य की तरफ ही दी गई विदाई

-वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और गांवासियों की चहेती थी अनारकली

JAMSHEDPUR: हाथी का नाम जेहन में आती है डर का अहसास होने लगता है, लेकिन दलमा में रहनेवाली ब्0 साल की अनारकली ने अपने व्यवहार से वन विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी और ग्रामीणों का दिल जीत लिया था। शुक्रवार की रात दलमा में करंट लगने से उसकी मौत हो गई। हाथी की उंचाई के ठीक बारबर दलमा पहाड़ी के नीचे स्थित मिर्जाजुड़ी गांव से क्क् हजार वोल्ट का तार क्रॉस कर रहा था। वन अधिकारियों की मानें तो जमीन तल से साढ़े सात फीट ऊपर बिजली का तार गुजर रहा था। हाथी की उंचाई भी लगभग यही बताई जा रही है। घर के एक सदस्य की तरह अनारकली को विदाई दी गई। अनारकली के मृत शरीर पर फूल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किए गए। हाथ जोड़ कर क्षमा मांगी गई। फिर रोते-रोते लोगों ने अनारकली को अंतिम विदाई दी। घटनास्थल के पास ही एक गडढे में उसका अंतिम संस्कार किया गया।

दलमा पहाड़ी से नीचे आ रहा था झुंड

शुक्रवार की रात करीब क्क्.फ्0 बजे के चार हाथियों का झुंड दलमा पहाड़ी से नीचे उतर रहा था। जैसे ही हाथी मिर्जाजोड़ी गांव की तरफ बढ़े वैसे ही एक मादा हाथी का सिर तार से सट गया। घटना के बाद झुंड में शामिल हाथी जोर-जोर से चिंघाड़ने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि रात में बारिश भी हुई थी। लेकिन आवाज सुनने के बाद आसपास के लोग जमा हो गए। लोगों के जमा होते ही बाकी हाथी भाग निकले। ग्रामीणों ने इसकी सूचना मिर्जाजोड़ी रेंज के फॉरेस्टर को दी। फॉरेस्टर ने सहायक वन संरक्षक मंगल कच्छप को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। सुबह वन विभाग की पूरी टीम घटनास्थल पर पहुंची। हाथी के मौत की पुष्टि पटमदा ब्लॉक स्थित पशु चिकित्सालय के डॉक्टर एन तिर्की ने किया। रिपोर्ट के मुताबिक मादा हाथी की मौत बिजली तार की चपेट में आने से हुई। हाथी की उम्र ब्0 वर्ष के करीब बताई जा रही है।

पहले भी हुई है एेसी घटना

सहायक वन संरक्षक मंगल कच्छप ने बताया कि दलमा आश्रयणी के पटमदा ब्लॉक के अलकतरा फैक्ट्री (गेरुआ एरिया) में तीन हाथियों की मौत बिजली तार की चपेट में आने से हो गई थी। घटना साल ख्007 की है। इसके बाद से बिजली तार हटाने के लिए कई बार बिजली विभाग को लिखा गया है लेकिन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान

मिर्जाजोड़ी निवासी लीबड़ मांझी का कहना था कि मादा हाथी हमेशा जंगल में घूमती थी। उसने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। बच्चे भी उसके पास आसानी से चले जाते थे। पूरे गांव में घूमती थी। उसके झुंड के सभी हाथी अच्छे हैं। मादा हाथी के अच्छे व्यवहार की चर्चा सहायक वन संरक्षक मंगल कच्छप ने भी की। उन्होंने कहा कि दलमा पहाड़ी में कई बार हमलोगों ने अनारकली को घूमते देखा था। अनारकली का व्यवहार काफी अच्छा था। फॉरेस्टर दिनेश चंद्रा, सदानंद सिंह, कलेश्वर भगत, पूरमी देवगम आदि लोगों ने बताया कि पूरे पहाड़ी इलाके में सिर्फ अनारकली ही दिखती थी। बच्चे से लेकर बड़े तक उसे देखकर फूले नहीं समाते थे। हाथी हो जेसीबी से उठाने के बाद घटनास्थल के पास ही दफन किया गया।

हाथियों के लिए सेफ है दलमा आश्रयणी

क्9फ्.ख्ख् वर्ग किलोमीटर में फैले दलमा आश्रयणी में करीब ब्00 से अधिक हाथियों का निवास है। दलमा अभ्यारण हाथियों के लिए सबसे सेफ माना जाता है। यह अभ्यारण सिल्ली, झालदा, ईचागढ़, मानिकुई, राखा, पन्ना, नीमडीह, चांिडल के आसपास तक फैला है। पूर्वी सिंहभूम अनुमंडल के आसपास फैले दलमा अभ्यारण में ख्00 से अधिक हाथियों का निवास करते हैं। हाथियों को विचरने के लिए दलमा अभ्यारण्य के किनारे-किनारे भ् कॉरिडोर भी बनाए गए हैं। जंगली जानवरों को पेयजल के लिए भ्0 से अधिक जल स्त्रोत तैयार किए गए हैं।

डर सताता है बिजली तार का

सहायक वन संरक्षण मंगल कच्छप ने बताया कि पूरे जंगल में बिजली तार का डर समाया हुआ है। जंगल के किनारे-किनारे हाईटेंशन तार गुजरता है। ऐसी स्थिति में जानवरों के जान का खतरा बना रहता है। तार को जमीन तल से क्ख् फीट से ऊपर करने का आग्रह किया गया है, लेकिन बिजली विभाग ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।

मादा हाथी की मौत बिजली तार की चपेट में आने से हो गई। बिजली विभाग की लापरवाही से दलमा अभ्यारण्य में कई जानवर मर चुके हैं। इसकी शिकायत भी बिजली विभाग के अधिकारियों को की गई है। मादा हाथी की मौत के लिए बिजली विभाग जिम्मेदार है। हम दोषी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कराएंगे।

-मंगल कच्छप, सहायक वन संरक्षक पदाधिकारी