जमशेपुर (ब्यूरो): कान की देखभाल अति आवश्यक है, कान के परदे में छेद होने पर समय से इसका सही इलाज कराकर बचा जा सकता है। कान के छेद संबंधित रोगों की अनदेखी करने से भविष्य में बहरेपन जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ये बातें शहर के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर शुभेंदु मंडल ने कहीं।

होती है परेशानी

गोलमुरी स्थित न्यू लाइफ नर्सिंग होम के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर शुभेंदु मंडल ने बताया कि अक्सर कानों की सही देखभाल लोग नहीं करते, जिसका खामियाज भविष्य में उठाना पड़ता है। कान के परदे में छेद होने के बाद सही इलाज नहीं होने के कारण काम में पानी और बरसात में शुष्क मौसम होने के चलते मवाद आना आम बात हो जाती है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में कान के पर्दे क्षतिग्रस्त होने से संबंधित इलाज में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्रॉनिक ऑस्टाइटिस मीडिया (कान का पर्दा क्षतिग्रस्त होना) बीमारी लाइलाज बिल्कुल नहीं है। कहा कि एंडोस्कोपिक की मदद से अब बिना चीर -फाड़, बिना खून बहाए इसका सटीक इलाज किया जा रहा है। डॉ, मंडल ने बताया कि पहले यह ऑपरेशन कान काट कर ही किया जाता था, लेकिन अब एंडोस्कोपिक (दूरबीन मशीन) से बिना काटे फाड़े इसका इलाज कुछ ही समय में संभव हो सका है।

टेक्नोलॉजी से हो रहा इलाज

कान के पर्दे फटने, इंक्शन होने, मवाद निकलने जैसी गंभीर बीमारियों का एंडोस्कोपिक मशीन से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ अब इलाज संभव हो सका है। हालांकि यह इलाज सामान्य ऑपरेशन से 20 से 25 प्रतिशत अधिक खर्चीला है, लेकिन इस एंडोस्कोपी सर्जरी के सक्सेस रेट काफी अधिक हैं। उन्होंने बताया कि सामान्य ऑपरेशन के मुकाबले इसमें मरीज को अधिक सहूलियत है।

50 वर्षीय व्यक्ति का हुआ सफल ऑपरेशन

गोलमुरी के 50 वर्षीय मोहम्मद आलम नामक व्यक्ति लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहे थे। डॉक्टर सुभेंदु मंडल की टीम द्वारा ऑपरेशन कर इस बीमारी को ठीक किया गया है। मेडिकल टीम में असिस्टेंट डॉ। एम राव, टेक्नीशियन सुरेंद्र कुमार, पारा मेडिकल स्टाफ में आरती, पुसतरी, रीता और पीयूष प्रमुख रूप से शामिल रहे।