-एमजीएम मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में गॉसिप का दौर चलता रहा

-कॉलेज के प्रिंसिपल और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट को हटाए जाने पर होती रही बात

JAMSHEDPUR: सामान्य दिनों से शुक्रवार को महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का नजारा कुछ अलग था। हालांकि, डॉक्टर्स रोजाना की तरह ही समय पर ड्यूटी पर आए। फिर भी नजारा बदला-बदला सा दिख रहा था। दोपहर क्ख् बजे प्रशासनिक भवन के समीप दर्जनों की संख्या में कर्मचारी आपस में बातचीत कर रहे थे। उसी दौरान पीपल पेड़ के पास एक मीडियाकर्मी की गाड़ी रुकती है। नजर पड़ते ही सारे कर्मचारी धीरे-धीरे पीपल पेड़ के तरफ बढ़ते हैं और मुस्कुराते अंदाज में पूछते हैं। क्या यह खबर सही है? तब तक दूसरा कर्मचारी बोल उठता है, सबकुछ मैनेज हो जाएगा? इसी में तीसरा कर्मचारी कहता है मोटी रकम पहुंचानी होगी? तबतक ओपीडी से निकलते हुए एक डॉक्टर पहुंचता है और मीडियाकर्मी से पूछता है। बहुत बड़ा बम फूटा आज, है न? इसमें कितनी सच्चाई है। क्या यह संभव है? इसी बीच दूसरे डॉक्टर कहते हैं सर, झारखंड में सब कुछ संभव है। यह मोटी राशि वसूलने का आइडिया भी हो सकता है। तभी सर्जरी वार्ड से एक और डॉक्टर निकलते हैं। पीपल पेड़ के नीचे भीड़ देखकर वह भी रूक जाते हैं। फिर धीरे से एक कर्मचारी को साइड में ले जाकर पूछते हैं कि सुप्रिंटेंडेंट साहब आएं है या नहीं? कर्मचारी कहता है, वह रोजाना की तरह समय पर ही आए हैं। दोपहर करीब क्.ब्0 बजे एक सफाई कर्मी अचानक आकर कहने लगता है कि क्या सुप्रिंटेंडेंट-प्रिंसिपल को हटाने से अस्पताल की व्यवस्था सुधर जाएगी? तबतक दूसरा सफाईकर्मी कहता है कि यहां पर कड़े प्रशासक की जरूरत है। तभी अस्पताल का भला हो सकता है। कर्मचारियों की बातें सुनकर होमगार्ड के जवान भी जुट जाते है और वह भी अपने राय रखते से पीछे नहीं हटते हैं। एक होमगार्ड जवान कहता है क्या हुआ, अभी दो दिन भी नहीं बीते हैं। बीते बुधवार को कई एमआर को ओपीडी से पकड़कर सुपरिंटेंडेंट के समक्ष रखा गया था, सुप्रिंटेंडेंट ने कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए छोड़ दिया था लेकिन स्थिति में सुधार आया क्या? नहीं। शुक्रवार को ओपीडी में फिर से एमआर की भीड़ उमड़ी हुई थी। इसका जिम्मेदार कौन है? यह सिलसिला शाम तक जारी रहा। दूसरी ओर अंदर ही अंदर कर्मचारी व डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते रहे कि एमजीएम हॉस्पिटल व कॉलेज का अगला सुप्रिंटेंडेंट-प्रिंसिपल कौन होगा? इसे लेकर हर कोई अपना दिमाग लगाता रहा। हालांकि खुलकर बोलने से हर कोई बचता रहा। कुछ कर्मचारियों का कहना था कि वरिष्ठता के आधार पर देखा जाए तो सुप्रिंटेंडेंट पद के लिए डॉ। कारमेला कुजूर व डॉ। विजय नरायण का नाम आता है लेकिन ये दोनों ख्0क्म् में रिटायर कर जाएंगे। ऐसे में कोई बाहरी या तीसरा भी सुप्रिंटेंडेंट पद के दावेदार बन सकता है। ज्ञात हो कि स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने एमजीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक व एमजीएम कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाने के लिए स्वास्थ्य सचिव को निर्देश जारी किया है। इसकी खबर सभी न्यूज पेपर्स में शुक्रवार के अंक में प्रकाशित हुई है।

सुपरिंटेंडेंट-प्रिंसिपल भी रहे हैरान

शुक्रवार को अखबार में खबर पढ़ने के बाद एमजीएम प्रिंसिपल डॉ। एएन मिश्रा व सुप्रिंटेंडेंट डॉ। आरवाई चौधरी भी हैरान रहे। डॉ। एनएन मिश्रा ने बताया कि इस संदर्भ में अभी कोई जानकारी नहीं है। अखबार के माध्यम से जरूर सूचना मिली है। एमजीएम सुप्रिंटेंडेंट डॉ। आरवाइ चौधरी भी यही बात कहते नजर आए। स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के निर्देश पर एमजीएम अस्पताल में दिनभर हड़कंप मचा रहा।