-एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन के लिए पहुंची एमसीआई की टीम

-एमबीबीएस सीट्स को 50 से 100 करने के लिए हो रहा इंस्पेक्शन

-तीन सदस्यीय टीम ने कॉलेज और हॉस्पिटल का किया मुआयना

JAMSHEDPUR: एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एमबीबीएस की क्00 सीटें जारी रखी जाएं या नहीं, इसके असेसमेंट के लिए आई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम ने गुरुवार को कॉलेज और हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन किया। इस दौरान टीम ने इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचिंग फैकल्टी का जायजा लिया। इंस्पेक्शन के दौरान एमजीएम हॉस्पिटल कई कमियां पाई गईं।

डॉक्टर्स का केबिन तो अच्छा, पर मरीज परेशान

डॉक्टर्स के केबिन में लगे एसी तो गर्मी में भी सर्दी का अहसास करा रहे थे, मरीजों के बेड पर चादर तक नहीं। हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन के लिए पहुंचे एमसीआई टीम के सामने कुछ ऐसा ही नजारा था। तीन सदस्यीय टीम के एक सदस्य तामिलनाडु के डॉ इलांगो और दो सदस्य हरियाणा के डॉ मल्लिक और वेस्ट बंगाल के डॉ पार्था प्रधान ने मेडिकल कॉलेज का जायजा लिया। डॉ इलांगो ने हॉस्पिटल के सभी वा‌र्ड्स में जाकर वहां की सुविधाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने देखा की डॉक्टर्स की केबिन में ऐसी जैसी सुविधाएं हैं, पर मरीजों के बेड पर चादर तक नही है। हॉस्पिटल के गंदे बाथरूम को देखकर भी वे हैरान हुए।

हर वार्ड का किया मुआयना

हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन के लिए पहुंची एमसीआई की टीम के सदस्य ने आईसीयू में सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, विभिन्न वा‌र्ड्स में डेंमोस्ट्रेशन रूम, प्री मेडिकेशन रूम सहित अन्य सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं इसकी भी पड़ताल की। इस दौरान उन्होंने हर वार्ड का मुआयना किया और वहां मौजूद सुविधाओं की जानकारी ली।

पहले भी गिर चुकी है एमसीअाई की गाज

एमजीएम कॉलेज में क्00 सीट्स के लिए दिए गए परमिशन के रिन्यूअल के लिए कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच के लिए एमसीआई की टीम द्वारा मई ख्0क्ब् में असेसमेंट किया गया था। एमसीआई की टीम ने इस असेसमेंट के दौरान कॉलेज में कई कमियां पाई थीं। काउंसिल की एग्जिक्यूटिव कमिटी ने इस असेसमेंट रिपोर्ट के आधार पर गवर्नमेंट को एमजीएम कॉलेज में क्00 सीट्स पर एडमिशन का परमिशन ना दिए जाने का रिकोमेंडेशन दिया था। एमसीआई के असेसमेंट में पाई गई थी ये कमियां

-अपर्याप्त पारामेडिकल स्टाफ।

-ई-क्लास की फैसिलिटी नहीं।

-स्पीच थेरेपी की सुविधा उपलब्ध नहीं।

-फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी,

फार्माकोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट में मौजूद

डेमोंस्ट्रेशन रूम्स की कैपिसिटी रेग्यूलेशन्स के हिसाब से

कम।

-डेली एवरेज प्लेन एक्स-रे की संख्या फ्0 है, जो अपर्याप्त है।

स्पेशल इंवेस्टिगेशन नहीं किए जाते।

-एमआरडी मैनुअल है। इंडेक्सिंग के लिए डिजीज का आईसीडी

एक्स क्लासिफिकेशन नहीं किया जाता।

-ऑपरेशन थियेटर्स की संख्या रिक्वायरमेंट के हिसाब से कम

है। कैजुअल्टी में भी सुविधाएं अपर्याप्त।

-एसआईसीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू अवेलेवल नहीं।

-सेप्टिक लेबर रूम नॉन-फंक्शनल है। इक्लैम्पि्शया रूम

अवेलेवल नहीं।

-कॉलेज की वेबसाइट पर जरूरी जानकारी नहीं।

-स्टैटिक एक्स-रे मशीन और मोबाइल एक्स-रे मशीन की

संख्या रिक्वायरमेंट से कम।

हेल्थ मिनिस्ट्री ने किया था क्00 सीट्स का रिन्यूअल डिसअप्रूव

एमसीआई के रिकोमेंडेशन के आधार पर होम मिनिस्ट्री ने क्भ् जुलाई ख्0क्ब् को आदेश जारी कर एमबीबीएस कोर्स के सेकेंड बैच के लिए बढ़े हुए सीट (क्00 सीट) के परमिशन के रिन्यूअल डिसअप्रूव कर दिया था। बाद में ये मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने कॉलेज को क्0 महीने के अंदर एमसीआई द्वारा बताई गई कमियों को दूर करने का निर्देश देते हुए गवर्नमेंट के आदेश पर स्टे लगा दिया था।

एमसीआई की टीम इंस्पेक्शन के लिए आई है। टीम द्वारा कॉलेज में एमबीबीएस के भ्0 से क्00 किए गए सीट्स को लेकर इंस्पेक्शन किया जा रहा है।

-डॉ एएन मिश्रा, प्रिंसिपल, एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल