-डॉक्टर की लापरवाही से तीन साल तक पेट में ही रहा राइल्स ट्यूब

-राइल्स ट्यूब के माध्यम से मरीज को दिया जा रहा था खाना, आधा ट्यूब टूटकर आंत में पहुंचा

JAMSHEDPUR: किसी लापरवाह डॉक्टर द्वारा सर्जरी के दौरान मरीज के पेट में रुई, धागा जैसी चीजें छोड़ देने की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं पर जमशेदपुर के एक हॉस्पिटल में डॉक्टर ने तो लापरवाही की सार हदें पार कर दी। मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर ने उसके पेट में फ्म् सेंटीमीटर की प्लास्टिक की ट्यूब छोड़ दी। इस ट्यूब के माध्यम से मरीज को खाना दिया जा रहा था। तेज दर्द होने पर जब मरीज हॉस्पिटल पहुंचा, तो जांच के दौरान यह बात सामने आई। डॉक्टर्स ने मुश्किल सर्जरी कर इस ट्यूब को निकाला और मरीज को नया जीवन दिया।

पेट के अंदर से निकला ट्यूब

मुसाबनी निवासी (ख्भ्) वर्षीय शनी बहादुर के पेट में तेज दर्द होने पर कांतिलाल गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जांच-पड़ताल में पता चला कि पेट के अंदर कुछ है। जब इंडोस्कोपी की गई तो आंत के पास फ्म् सेंटीमीटर का प्लास्टिक का ट्यूब फंसा हुआ था। इसे देखकर डॉक्टर भी हैरान हो गए। इतना ही नहीं, पाइप पेट के अंदर पूरी तरह से मुड़ गया था और वह धीरे-धीरे आंत की ओर बढ़ रहा था। डॉक्टर्स ने कहा कि अगर कुछ और देर होती तो शायद ट्यूब पेट में छेद कर बाहर निकल जाता और यह जानलेवा साबित होता। यह राइल्स ट्यूब था और इससे नाक के माध्यम से तरल-पदार्थ दिया जाता है।

तीन साल से था पेट में

मरीज का ऑपरेशन करने वाले डॉ। एआर बसु ने कहा कि काफी जांच-पड़ताल से पता चला कि मरीज को सिर में चोट आने पर तीन वर्ष पूर्व शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दौरान पीडि़त को राइल्स ट्यूब के माध्यम से लिक्विड दिया जा रहा था। उस दौरान आधा पाइप टूट कर पेट के अंदर चला गया, जबकि आधा निकाल लिया गया।

इसके बाद मरीज को छुट्टी कर दिया गया। कुछ माह बीत जाने के बाद पीडि़त के पेट में हल्ला-हल्का दर्द शुरू हुआ। इस दर्द को मरीज भी सहता गया। जब अधिक दर्द होता तो दवा खरीद कर खा लेता।

दर्द बढ़ने पर पहुंचा हॉस्पिटल

पिछले तीन महीने से मरीज का दर्द लगातार बढ़ने लगा। इससे परेशान होकर पीडि़त मेडिका अस्पताल पहुंचा। इंडोस्कोपी से ट्यूब निकाला गया, जो लोहे की पाइप की तरह काला और कड़ा हो गया था। लंबे समय से पेट के अंदर होने के कारण ट्यूब काला और कड़ा हो गया था। पीडि़त की सर्जरी करने के लिए कांतिलाल अस्पताल की ओर से चार सदस्यीय टीम बनाई गई थी। इसमें डॉ। एआर बसु, टेक्नीशियन लक्ष्मी बोस, केएल नाग और नर्स बाहलेन श्ामिल थे।

मेडिकल जर्नल के लिए भेजा जाएगा मामला

डॉ। एआर बसु ने कहा कि यह अनोखा मामला है। इसे देखते हुए इस ट्यूब को फॉरेन मेडिकल जर्नल भेजने का निर्णय लिया गया है, ताकि इसपर विस्तार से रिसर्च हो और दूसरे लोग भी जान सकें। साथ ही एक रिकार्ड भी तैयार होगा। उन्होंने कहा कि अधिकांश इंडोस्कोपी करने में क्0-क्भ् मिनट ही लगते हैं, लेकिन इसे करने में करीब एक घंटा लग गया। बगैर इंडोस्कोपी का यह संभव भी नहीं था।