-फायर सेफ्टी नॉ‌र्म्स का हो रहा वायलेशन

-हाई राइज बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही

JAMSHEDPUR: शहर में हाई राइज बिल्डिंग्स की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। बडे़-बड़े अपार्टमेंट्स में हर तरह की सुविधाओं से लैस फ्लैट बनाए जा रहे हैं, लेकिन क्या इन अपार्टमेंट्स में सुविधा के साथ-साथ सेफ्टी का भी ध्यान रखा जा रहा है? नेपाल सहित भारत के कई हिस्सों में आए भूकम्प और उसकी वजह से हुई तबाही को सबने देखा है। शहर में भी लगातार दो दिन भूकम्प के झटके महसूस किए गए। हालांकि शहर में आए भूकम्प के ये झटके कम मैग्नीट्यूड के थे पर ये सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसी किसी आपदा से निपटने के लिए शहर और इसकी इमारतें कितनी सेफ है। भूकम्प में कई बार आग का खतरा भी रहता है। बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी के लिए कई रूल्स बनाए गए हैं, लेकिन शहर में इन रूल्स का धड़ल्ले से वायलेशन हो रहा है।

नहीं है फायर सेफ्टी का इंतजाम

मानगो डिमना रोड स्थित चार मंजिला अपार्टमेंट, अपार्टमेंट के फ्लैट तो खूबसूरत तरीके से बने हुए हैं पर फायर सेफ्टी का कोई इंतजाम नही है। न लिफ्ट, ना फायर एस्केप और ना ही किसी फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्यूशर। ऐसे में अगर यहां कभी आग जैसी कोई घटना होती है तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। ये महज एक एग्जांपल है। शहर में ऐसे अपार्टमेंट्स की बड़ी तादाद है। बड़े-बड़े अपार्टमेंट तो बनाए गए है पर यहां फायर सेफ्टी को कोई इंतजाम नही है।

एडवाइजरी को मान लेते हैं एनओसी

कोई बिल्डिंग फायर सेफ्टी के लिए बनाए गए नॉ‌र्म्स को पूरा करता है या नहीं इसके लिए निर्माण के बाद फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट द्वारा एनओसी लिया जाता है। डिपार्टमेंट के अधिकारी बिल्डिंग की जांच कर एनओसी इश्यू करते हैं, लेकिन शहर में इस नियम का भी धड़ल्ले से वायलेशन किया जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट फायर ऑफिसर गंगा खलको ने बताया कि निर्माण के वक्त फायर डिपार्टमेंट द्वारा इंस्पेक्शन कर एडवाइजरी इश्यू किया जाता है। इसमें बिल्डिंग की हाइट, कैटगरी जैसी चीजों के अनुसार फायर सेफ्टी नॉ‌र्म्स के बारे में बताया जाता है। निर्माण के बाद डिपार्टमेंट द्वारा इंस्पेक्शन किया जाता है और अगर नॉ‌र्म्स पूरे किए गए हैं, तो एनओसी इश्यू किया जाता है। उन्होंने कहा कि कई लोग एडवाइजरी को ही एनओसी मान लेते हैं और एनओसी लेने के लिए आते ही नहीं। वहीं, पुरानी बिल्डिंग्स में तो फायर सेफ्टी का हाल और भी बेहाल है।

जरूरी है नॉ‌र्म्स फॉलो करना

नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी के लिए फायर एक्टिंग्यूशर, हॉल रील, ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर सिस्टम, फायर अलार्म सिस्टम, अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक, टैरेस टैंक जैसे इंतजाम होने चाहिए। झारखंड म्यूनिसिपल एक्ट, ख्0क्क् के अनुसार कोई पर्मानेंट कंस्ट्रक्शन प्लान फायर सेफ्टी स्टैंडर्ड नॉर्म को पूरा किए बगैर अप्रूव किया गया है तो म्यूनिसिपल कमिश्नर या एग्जिक्यूटिव ऑफिसर द्वारा कंस्ट्रक्शन का काम रुकवाया जा सकता है। जिस आर्किटेक्ट ने ऐसे बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का प्लान अप्रूव किया है उसके खिलाफ भी एक्शन लेने का प्रावधान है।

फायर सेफ्टी है जरूरी

भूकंप जैसी स्थितियों में भी आग की संभावना रहती है। जानकार बताते हैं कि भूकंप आने पर शॉर्ट सर्किट सहित अन्य कई वजहों से आग लगने की संभावना रहती है। वहीं ऐसी स्थितियों में फायर फाइटिंग भी मुश्किल होता है। इसलिए जरूरी है बिल्डिंग्स बनाते वक्त फायर सेफ्टी नॉ‌र्म्स को फॉलो किया जाए, ताकि आग लगने की संभावनाओं को कम करने के साथ-साथ आग लगने पर फौरन उसे काबू करने का इंतजाम हो।

सभी तरह के बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी का इंतजाम होना जरूरी है। बिल्डिंग के निर्माण के वक्त एडवाइजरी इश्यू की जाती है और निर्माण पूरे होने के बाद इंस्पेक्शन कर एनओसी दिया जाता है, लेकिन कई लोग एडवाइजरी को ही एनओसी मान लेते हैं।

-गंगा खलको, डिस्ट्रिक्ट फायर ऑफिसर