JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दवाइयों की संकट हो गई है। मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो गया है। ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में स्प्रिट खत्म हो गया है। वहीं पूरे अस्पताल में बैंडेज भी नहीं है। इतना ही नहीं, एचआइवी मरीजों की दवा भी खत्म है। दर्द की एंटीबायोटिक दवा भी खत्म होने की कगार पर है। सिर्फ एक ही दवा बची हुई है। यहीं हाल शिशु रोग विभाग की भी है। यहां पर भी आधे से अधिक दवाइयां खत्म हो चुकी है। जिसके कारण मरीजों को बाहर से खरीदना मजबूरी है। विटामीन की दवा भी नहीं मिल रही है। अस्पताल के डिस्पेंसरी में कुल 53 दवाओं की सूची लगी हुई है। इसमें 33 खत्म हो चुकी है। इसमें बच्चों को दी जाने वाली पैरासिटामॉल की सिरप, कृमि की दवा (एल्बेंडाजोल), विटामीन की दवा सहित अन्य शामिल है।

बाहर से खरीद रहे दवा

एमजीएम अस्पताल में दवा नहीं होने की वजह से 90 फीसद मरीजों को बाहर की दवा खरीदनी पड़ रही है। इसे लेकर मरीजों में भारी आक्रोश है। रोजाना हो-हंगामा हो रहा है। इससे सरकार का निश्शुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने की दावा पर सवाल खड़ा होने लगा है। दवाओं की पूर्ति अस्पताल में रांची से होती है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सभी दवाओं की सूची तैयार कर रांची कॉरपोरेशन भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही सभी दवाएं आएगी।

मलेरिया की दवा भी नहीं

अस्पताल में मलेरिया मरीजों की संख्या बढ़ी है पर दवा नहीं है। इस वजह से मरीजों को बाहर से दवा खरीद कर लानी पड़ रही है। इन दिनों आधे दर्जन से अधिक मलेरिया के मरीज भर्ती है। इसी तरह, बीते एक साल से चार तरह की आइ ड्रॉप नहीं है। सिर्फ एक ड्रॉप के भरोसे अस्पताल चल रहा है।