-मच्छरों ने बढ़ाई परेशानी, बढ़ रहा है मलेरिया का खतरा

-नन कंपनी एरिया में साफ-सफाई और फॉगिंग की व्यवस्था नहीं, बढ़ रहे हैं मच्छर

JAMSHEDPUR: पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश एक तरफ जहां तेज गर्मी से राहत दे रही है, वहीं वहीं दूसरी ओर परेशानी भी बढ़ा रही है। शहर के नन कंपनी एरिया में सफाई व्यवस्था पहले से ही बेहाल है, ऐसे में बारिश की वजह से समस्या और बढ़ रही है। वाटर लॉगिंग और गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में मलेरिया समेत दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। रविवार को मलेरिया की वजह से एमजीएम हॉस्पिटल में इलाजरत एक मरीज की मौत हो गई। इसके बावजूद न तो हेल्थ डिपार्टमेंट के इसके रोकथाम की कोशिश कर रहा है और न ही म्यूनिसिपल अथॉरिटीज सफाई व्यवस्था दुरुस्त कर रहे हैं।

मच्छरों ने किया बेहाल

शाम होते ही मच्छरों का आतंक शुरू हो जाता है, रात में तो पूछिए मत क्या हाल होती है, ऐसा लगता है मानो मच्छर उठा कर ले जाएंगे, ये कहना है छायानगर बस्ती के रहने वाले रमेश का। इस बस्ती के रहने वाले सभी लोग मच्छरों से कुछ इसी तरह परेशान है। और हो भी क्यूं ना, बस्ती में मच्छरों के पनपने के लिए हर तरह की सुविधा मौजूद है। जगह-जगह कचरे का ढेर जमा है, गढ्डे पानी से भरे हैं, साफ-सफाई का नामो-निशान तक नहीं है। अब जाहिर सी बात है कि ऐसे माहौल में मच्छर तो पनपेंगे ही। ये हाल शहर के किसी एक क्षेत्र का नही है। मानगो सहित सिटी के दूसरे नन-कंपनी एरियाज में साफ-सफाई ऊपरवाले के भरोसे है। मच्छरों के प्रकोप के बावजूद फॉगिंग और छिड़काव की प्रॉपर व्यवस्था नहीं की गई है।

सिर्फ रूरल एरिया की चिंता

अर्बन एरियाज में मच्छर एक बड़ी समस्या हैं, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट की नजरों में शायद यह समस्या सिर्फ रूरल एरियाज तक ही सीमित है। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर डॉ बीबी टोपनो ने कहा कि विभाग द्वारा सिर्फ रूरल एरियाज में छिड़काव करवाया जाता है। जानकार बताते हैं कि अर्बन एरियाज में अगर मलेरिया की रोकथाम के उपाय नहीं किए गए, तो यह बीमारी शहर से गांवों तक में भी फैल सकती है और ऐसे में रूरल एरियाज में मलेरिया के रोकथाम के जो प्रयास किए गए हैं वे भी बेअसर हो जाएंगे।

फॉगिंग के नाम पर होती है खानापूर्ति

शहर के बड़े क्षेत्र में साफ-सफाई सहित अन्य नागरिक सुविधाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी) की है। मच्छरों की रोकथाम के लिए फॉगिंग की जिम्मेदारी भी जेएनएसी की ही है, लेकिन जेएनएसी द्वारा फॉगिंग के नाम पर महज खानापूर्ति ही की जा रही है। छायानगर के अमित राय ने बताया कि फॉगिंग की गाड़ी शायद ही कभी यहां पहुंचती हो, साफ-सफाई भी कई-कई दिनों पर करवाई जाती है। जेएनएसी के सैनिटरी इंस्पेक्टर पी कुजूर ने बताया कि फॉगिंग के लिए उनके पास सिर्फ एक ही मशीन है। इसी से पूरे इलाके में छिड़काव किया जाता है। ऐसे में अगर मशीन में खराबी आ जाए, तो छिड़काव भी बंद हो जाएगा। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है की मच्छरों की रोकथाम के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट और म्यूनिसिपल अथॉरिटीज में कितनी गंभीरता है।

विभाग द्वारा रूरल एरियाज में मच्छरों की रोकथाम के लिए छिड़काव करवाया जाता है। मई से छिड़काव शुरू किया जाएगा।

-डॉ बीबी टोपनो, डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर

जेएनएसी द्वारा फॉगिंग करवाई जाती है। इसके लिए शिड्यूल बनाया गया है।

-दीपक सहाय, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी

मच्छरों की वजह से यहां रहना मुश्किल हो जाता है। पिछली बार यहां कब फॉगिंग या छिड़काव किया गया है मुझे नहीं मालूम।

-अमित राय, छायानगर

साफ-सफाई और फॉगिंग की व्यवस्था नहीं होने से यहां काफी मच्छर हैं। यहां इतने मच्छर हैं कि क्वायल जलाने पर भी कोई असर नहीं पड़ता है।

रमेश, छायानगर

बारिश होने पर मच्छर की समस्या काफी बढ़ जाती है। साफ-सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। इसलिए परेशानी और बढ़ाती है।

राजकुमारी, छायानगर

हमारे इलाके में फॉगिंग नहीं की जाती है। मच्छरों की वजह से यहां काफी परेशानी होती है। ठीक से सोना भी मुश्किल हो जाता है।

सतीष कुमार

मच्छरों की वजह से यहां काफी परेशानी है। फॉगिंग और छिड़काव की बात तो दूर नन कंपनी एरिया में साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था तक नहीं है।

बंदना गोराई