-सिस्टम को कोसने वाले दूसरों के लिए भी बन रहे परेशानी का कारण

JAMSHEDPUR: सिटी में डेली ख्00 टन कूड़ा निकलता है। एक आंकड़े के मुताबिक शहर के नन कंपनी एरिया में करीब फ्भ् परसेंट कूड़ा रोड और नालियों में फेंका जा रहा है। यह काम कर रहा है शहर का आम आदमी। ये वही आम आदमी हैं, जो अक्सर कहते हैं कि सिस्टम सही नहीं है। लगता है जैसे हम गुलाम हैं। जेएनएसी, एमएनएसी और जुगसलाई नगर पालिका सड़क साफ नहीं करा रही हैं। नालियां जाम हो गई हैं। हकीकत यह है कि सिस्टम को कोसने वाले आम आदमी ने खुद में कई ऐसे आदतें डाल ली हैं, जो आजादी के छह दशक बाद भी दूसरों की आजादी में खलल डाल रही है।

रो रहा संसाधन का रोना

शहर की जेएनएसी, एमएनएसी और जुगसलाई नगर पालिका कूड़ा उठाने के लिए हमेशा संसाधनों का रोना रोते रहती हैं। तीनों का दावा है कि शहर में ख्9भ् बड़े डस्टबीन लगाए गए हैं। लेकिन सच्चाई यह कि अधिकतर बड़े डस्टबीन कब के जर्जर हो चुके हैं। वहीं, छोटे डस्टबीन कबाड़ हो गए या गायब हो गए हैं।

चार क्विंटल बायो वेस्ट निकलता है रोजाना

जिले में छोटे-मोटे कुल मिलाकर करीब भ्0 अस्पताल हैं। क्00 से अधिक पैथोलॉजी व क्लिनिक हैं। इन सभी से एक अनुमान के मुताबिक करीब चार क्विंटल से अधिक बायो वेस्ट निकलता है, लेकिन जानकारों का मानना है कि मैक्सिमम जगहों पर इसके डिस्पोजल की व्यवस्था नहीं है। इस कारण अस्पताल परिसर, सड़कें, नाली, नदी सहित अन्य स्थानों पर जहां-तहां बायोमेडिकल वेस्ट फेंक दिया जा रहा है। इससे जानलेवा बीमारियां पनपने की आशंका दोगुना बढ़ गई है। एमजीएम अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो यहां से रोजाना भ्0-म्0 किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। लेकिन यहां कूड़ों का डिस्पोजल नहीं हो पा रहा है। एमजीएम हॉस्पिटल में सालों से इंसीनिरेटर खराब पड़ा है।

शहर से निकलता है ख्00 टन कूड़ा

कहां कितना लगा है कूड़ेदान

जेएनएसी क्ख्भ्

जुगसलाई नगर पालिका ब्0

मानगो अक्षेस क्फ्0

पीएम के स्वच्छता अभियान से लोगों की मानसिकता में सुधार भी आना शुरू हो गया है। पहले की अपेक्षा अब कूड़ा इधर-उधर कम ही फेंका जाता है।

-दीपक सहाय, विशेष पदाधिकारी, जेएनएसी

डस्टबिन के बजाय कूड़ा जहां-तहां फेंकने से लेबर कॉस्ट बढ़ जाता है। कर्मचारियों को भी परेशानी होती है।

-जेपी यादव, विशेष पदाधिकारी, मानगो अक्षेस

गंदगी फैलाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। कूड़ों का निस्तारण उचित स्थान पर होना ही चाहिए। शहर की सफाई में हमें सरकारी एजेंसियों को मदद करनी चाहिए।

-अमित रंजन

शहर की सफाई का तो हर हाल में ख्याल रखना चाहिए। गंदगी से हमारी गलत मानसिकता का पता चलता है। यदि शहर गंदा होगा तो विजिटर्स पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा।

आदित्य

पार्क में डस्टबिन की कमी है। स्वच्छ अभियान से तो मैं जुड़ना चाहता हूं, लेकिन जब डस्टबिन नहीं हो तो कूड़ा कहां फेंकें। कभी-कभी सड़क पर कूड़ा फेंकना मजबूरी बन जाती है।

-बलराम कुमार

शहर में हर जगह डस्टबिन है, लेकिन लोग उसका यूज नहीं करते हैं। हमें तो सफाई का ध्यान रखना ही चाहिए। लेकिन कितने लोगों को समझाया जाए। यहां तो गुटखा और पान खाकर भी लोग जहां-तहां गंदा कर देते हैं।

-सैफ