-शहर के चौक-चौराहों और सड़कों पर लगने वाले जाम के लिए आम लोग भी काफी हद तक हैं जिम्मेदार

-ट्रैफिक अवेयरनेस कैंपेन का भी लोगों पर नहीं पड़ रहा है असर

-मानगो पुल, जुबिली पार्क चौक, साकची गोलचक्कर, बसंत सिनेमा के पास जाम की समस्या बढ़ गई है

JAMSHEDPUR: जाम, जाम और जाम। सुबह घर से और शाम को आफिस से निकलते वक्त हर चेहरे पर जाम का खौफ। 15 मिनट की दूरी तय करने में घंटे भर का समय। इस पर दुर्घटनाओं का डर। हर आदमी हलकान, परेशान। लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि क्यों लगता है जाम, जाम का कारण क्या है। आगे निकलने की होड़ में क्या हम जाम के कारण नहीं हैं। ट्रैफिक रूल्स तो सबके लिए बना है लेकिन खुद फॉलो नहीं करते हैं। थोड़ी सी जगह मिली नहीं कि निकल लिए। न आगे वाले की चिंता और न ही पीछे खड़ी गाडि़यों की परवाह। नजीता रोड जाम।

बन रही हैं योजनाएं

-भुइंयाडीह सड़क को चौड़ा किया जाए।

-दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के परिजन को जल्दी से जल्दी मुआवजे का भुगतान कराना सुनिश्चित किया जाए।

-मुख्य सड़क पर मिलने वाले ब्रांच व क्रॉस रोड सड़क पर मुख्य सड़क के मिलान स्थल के पहले स्पीड ब्रेकर बनाया जाए।

-भारी वाहनों का शहर में प्रवेश बंद कर दिया जाए।

-मिनी बस, टेम्पो का स्थायी पड़ाव बनाया जाए।

-वैसी सड़कों व स्थलों को चिह्नित किया जाए, जहां दो वर्षो में सबसे अधिक दुर्घटनाएं हुई हों।

पांच लाख से अधिक गाडि़यां

शहर में पांच लाख से अधिक गाडि़यां हैं। एक लाख मोटरसाइकिल, एक लाख चार पहिया निजी वाहन, एक लाख व्यवसायिक वाहन, जिनमें 30 हजार ऑटो रिक्शा (टेम्पो), 20 हजार छोटे व्यवसायिक वाहन, 50 हजार भारी व्यवसायिक वाहन (इनमें दस पहिया ट्रक, ट्रेलर, डम्पर व हाइवा) शामिल हैं। इसके अलावा शहर में रोज 2500 गाडि़यां बाहर से आती हैं।

साल में 60,000 पर जुर्माना

पिछले साल रफ ड्राइविंग, हेलमेट, बिना कागजात के वाहन चलाने वाले 60 हजार लोगों पर जुर्माना लगाया जा चुका है। इनसे 40 लाख रुपये जुर्माने के रूप में वसूले गए हैं।

डू यू नो

-रोज करीब 2500 गाडि़यां बाहर से शहर में आती हैं।

-हर माह ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चलने वाले अभियान में करीब चार लाख रुपए वसूले जाते हैं।

-हर माह 5000 छोटी-बड़ी गाडि़यों का निबधंन होता है।

-पिछले साल रोड एक्सीडेंट में 273 जानें गईं।

-ज्यादातर 30 से 35 वर्ष तक के लोग होते हैं दुर्घटना के शिकार।

-किशोरों को पसंद है तेज रफ्तार वाली गाडि़यां।

यहां होते हैं ज्यादा हादसे

जुबिली पार्क गेट संख्या एक, बर्मामाइंस ट्यूब गेट, लिट्टी चौक भुइंयाडीह, साकची हाथी-घोड़ा मंदिर, बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट, गोविंदपुर टाटा पावर, साकची बंगाल क्लब, टेल्को मेन गेट, बिष्टुपुर वोल्टास बिल्डिंग मोड़, कदमा रंकिणी मंदिर, जुगसलाई फाटक, जेम्को मोड़

यहां लगता है जाम

मानगो पुल, जुबिली पार्क चौक, साकची गोलचक्कर, बसंत सिनेमा के पास, रंग गेट से प्रदीप मिश्रा चौक, रेलवे ओवरब्रिज, सुनसुनिया चौक, रेलवे क्रासिंग जुगसलाई, रीगल मैदान चौक

50 से 65 डेसीबल तक है परमिसेबल

रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी आरएन चौधरी के अनुसार एक व्यक्ति में सामान्य तौर पर शोर बर्दाश्त करने की क्षमता 50 से 65 डेसीबल तक होती है। लेकिन, शहर के अधिकांश हिस्सों में तयमान से ज्यादा शोर होता है। इंडस्ट्रीयल, रेसिडेंशियल और सेंसेटिव जोन के लिए अलग-अलग शोर के मान तय किए गए हैं। अस्पताल, स्कूल को सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया है। यहां नॉयज का परमिसेबल लिमिट 50 डेसीबल तक है। रेसीडेसिंयल इलाकों में नॉयज का मैक्सिमम लिमिट 65 डेसीबल तय किया गया है। लेकिन शहर के किसी भी एरिया में तय मान से अधिक नॉयज पॉल्यूशन है।

हॉस्पिटल के पास भी है तय मान से ज्यादा शोर

रीजनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि शहर के लगभग हर हिस्से में उनके द्वारा तय मानक से 10 से 15 प्रतिशत शोर अधिक है। चिकित्सकों की मानें तो लगातार क्षमता से अधिक शोर सहन करने के बाद व्यक्ति स्थायी बहरेपन का शिकार हो जाता है। हद तो यह है कि कोल्हान प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल एमजीएम में मरीज नॉयज पॉल्यूशन की परेशानी झेल रहे हैं। एमजीएम और टीएमएच जैसे साइलेंट जोन हॉस्पिटल में भी मरीजों को ध्वनि प्रदूषण से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

नॉयज पॉल्यूशन परमिसेबल लिमिट से ज्यादा होने से लोगों में बहरेपन की शिकायत बढ़ रही है। ज्यादा नॉयज पॉल्यूशन से ब्रेन सबसे ज्यादा डिस्टर्ब होता है। हॉस्पिटल्स के आसपास ज्यादा शोर होने से मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। स्कूल के आसपास शोर ज्यादा होने से बच्चों में कंसंट्रेशन पावर कम होता है।

-डॉ एसके झा, सिविल सर्जन, ईस्ट सिंहभूम

यहां है परमिसेबल लिमिट से ज्यादा शोर

मानगो पुल, जुबिली पार्क चौक, साकची गोलचक्कर, बसंत सिनेमा के पास, रंग गेट से प्रदीप मिश्रा चौक, रेलवे ओवरब्रिज, सुनसुनिया चौक, रेलवे क्रासिंग जुगसलाई, बिष्टुपुर रीगल मैदान चौक, गोलमुरी जैसे व्यस्ततम इलाकों में जाम की परेशानी सबसे ज्यादा है।

खतरनाक लेबल पर यहां है नॉयज पॉल्यूशन

स्थान पाया गया तय मान

आदित्यपुर 69.3 65

टीएमएच 66.2 50

एमजीएम 70 50

बिष्टुपुर सिग्नल 74.8 65

साकची गोलचक्कर 74.4 65

सिविल कोर्ट 63.7 50

गोलमुरी चौक 76.2 65

मानगो बस स्टैंड 79.9 65

(5 जून 2015 व‌र्ल्ड एन्वायरमेंट डे के मौके पर क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी आंकड़े डेसीबल में)

RSPM Level भी खतरनाक लेवल पर

शहर में एयर पॉल्यूशन का लेवल भी बढ़ गया है। सामान्य रूप से वायु में रेसपिरेबल पर्टिकुलेट सस्पेंडेड मैटर (आरएसपीएम)) की मात्रा क्00 होनी चाहिए, जो बढ़कर लगभग क्7क् पहुंच गई है। एक्सप‌र्ट्स के अनुसार, ये लोगों के लिए काफी घातक हो सकता है। एयर पॉल्यूशन से सांस से संबंधित कई बीमारियां होती हैं। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा एयर पॉल्यूशन आदित्यपुर में है। बिष्टुपुर और गोलमुरी में भी आरएसपीएम खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है। पिछले साल गोलमुरी में आरएसपीएम की मात्रा सबसे अधिक ((क्8ब् .ब्भ्)) दर्ज की गई थी। आदित्यपुर में आरएसपीएम की मात्रा क्म्भ्.फ्9 और बिष्टुपुर में क्ख्ब्.ख्9 दर्ज की गई थी।

शहर में जाम न लगे इसके लिए सभी चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है। ट्रैफिक रूल्स सख्ती से फॉलो इसके लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। रूल्स तोड़ने वालों के खिलाफ जुर्माने की रसीद संबंधित व्हीकल्स ऑनर के पते पर भेजी जाती है। फिलहाल शहर में लोग रूल्स फॉलो कर रहे हैं। दूसरे शहरों की अपेक्षा जमशेदपुर में जाम नहीं के बारबर लगता है।

विवेकानंद ठाकुर, ट्रैफिक डीएसपी

वर्तमान में इस समस्या का कोई हल नहीं दिखाई देता। नो इंट्री टूटने पर जाम लगना स्वभाविक है। आबादी और गाडि़यां लगातार बढ़ रही हैं लेकिन सड़कें उतनी ही है।

नेहा

आगे निकलने की होड़ में लोग ट्रैफिक रूल्स की अनदेखी करते हैं। इससे पीछे वाले व्हीकल ड्राइवर को काफी परेशानी होती है। बड़े वाहन को क्यू में चलते ही हैं। सबसे ज्यादा बाइकर्स रूल्स ब्रेक करते हैं।

श्वेता सिंह

जितनी दूरी तय करने में मुश्किल से क्0 से क्भ् मिनट लगना चाहिए उसके लिए मैं एक घंटे से ज्यादा से का वक्त लग जाता है। कभी कभी तो कॉलेज के लिए भी लेट हो जाती हूं।

राजश्री

ट्रैफिक रूल्स यदि सभी लोग फॉलो करें तो किसी को भी परेशानी नहीं होगी। लेकिन जल्दीबाजी में कानून को कुछ ताक पर रख देते हैं। लिहाजा एक की गलती का खामियाजा पूरे शहर को भरना पड़ता है।

कुमारी रूपा