जमशेदपुर (ब्यूरो): अभी आम का सीजन है। फलों का राजा आम इन दिनों हर गली और चौक चौराहों पर ठेले पर नजर आ रहे हैं। स्थिति यह है कि जो आम अभी नहीं मिलना चाहिए वह आम भी बाजार में उपलब्ध है। आम के इस मौसम में लोग हर रोज आम लेकर घर जा रहे हैं। घर में आम का स्वाद लेते हैं तो पता चलता है कि इसमें वह स्वाद और मिठास नहीं रहती। इसका कारण यह है कि यह आम नेचुरल रूप से पका हुआ नहीं होता है। यह कार्बाइड से पका हुआ आम होता है। अगर आपको प्राकृतिक रूप से पका हुआ भागलपुरी दशहरी आम खाना है तो इसके लिए जून के अंतिम सप्ताह तक इंतजार करना होगा।

एक जगह पहुंचता है ट्रक

जमशेदपुर की बात करें तो यहां बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़, यूपी और महाराष्ट्र से आम का ट्रक हर दिन पहुंच रहा है। यहां बिष्टुपुर, साकची और परसुडीह में होलसेल मार्केट है, जहां ट्रक से आम पहुंचता है। बहुत सारे दुकानदार या ठेले वाले ऐसे भी हैं, जो होलसेल में क'चा आम खरीदकर अपने घर ले जाते हैं और घर में कार्बाइड से पका कर सुबह ठेला या दुकान पर लेकर निकलते हैं। आपको पता नहीं होता, लेकिन ये आम सेहत के लिए खतरनाक है।

जुलाई में मिलने वाला आम मई में

शहर में इन दिनों फलों की दुकानें आम की अलग-अलग वैरायटी से भरी पड़ी हैं। इन दिनों लंगड़ा, सिंदूरी, बैंगलपिल्ली, दशहरी आदि आम खाने को मिल रहे हैं, लेकिन आजकल जो आम बाजारों में बिक रहे हैं वो आपकी सेहत के लिए खतरनाक भी हो सकते हैं। मार्केट में इन दिनों केमिकल वाले आम धड़ल्ले से बिक रहे हैं। आम को जल्दी पकाने के लिए और पैसे कमाने के लिए व्यापारी आम को एथिलीन और कार्बेट जैसे केमिकल लगाकर पकाते हैं। इससे आपको कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है। इतना ही नहीं, ये केमिकल शरीर में पहुंचकर नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में आप आम खरीदते वक्त सावधान रहें।

ऐसे पका रहे आम

पहले नेचुरल तरीके से पाल लगाकर आम को पकाया जाता था। आम को गर्म जगह जैसे भूसे में या फिर बोरे में भरकर रखा जाता था, जिससे आम गर्मी से पकते थे, लेकिन आजकल आम को पकाने के लिए व्यापारी कैल्शियम कार्बाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और एसिटिलीन गैस जैसे केमिकल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है।

ऐसे करें केमिकल वाले आम की पहचान

- सबसे पहली पहचान है कि केमिकल से पके आमों का रंग ज्यादा पीला और कहीं हरा दिखता है।

- नेचुरल तरीके से जो आम पकाए जाते हैं उनमें हरे धब्बे नहीं दिखाई देते हैं।

- आप हरे रंग के धब्बे दिखने वाले आमों से दूर रहें, ये केमिकल से पके आम होते हैं।

- केमिकल से पकाए हुए आम अंदर से कहीं पीले तो कहीं सफेद दिखते हैं।

- नेचुरल तरीके से पके आम अंदर से पूरी तरह से पीले होते हैं।

- केमिकल वाले आम खाने से मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है और मुंह में जलन भी हो सकती है।

हानिकारक है कार्बाइड से पका आम

कार्बाइड के जरिए बनने वाली जहरीली मिठास आपकी पेट, लीवर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी कारण बनता है। सीजन शुरू होते ही यह मांग-आपूर्ति की चुनौतियों से जूझने लगता है और इसकी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए जाते हैं। बाजार की मांग के अनुसार आम की पर्याप्त मात्रा समय पर पक कर तैयार नहीं हो पाती। ऐसे में इसे एक रसायन कैल्शियम कार्बाइड की मदद से पकाया जाता है। इसे आमतौर पर &मसाला&य भी कहा जाता है, जो आम को जल्दी पकाने में मदद करता है। इससे आम में आर्सेनिक एवं फास्फोरस के अंश रह जाते हैं। यह बेहद प्रतिक्रियाशील रसायन है, जो नमी के सम्पर्क में आने पर एसिटिलीन गैस पैदा करता है। एसीटिलीन मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और मस्तिष्क को होने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति कम कर देता है। यह मुंह में अल्सर, पेट में जलन और यहां तक कि फूड प्वाइजनिंग का कारण भी बन सकता है।

इन बीमारियों का खतरा

बता दें कि इस केमिकल से आपकी हेल्थ को भी कई सारे नुकसान हैं। कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फल खाने से कैंसर, लीवर, गुर्दा खराब हो सकता है। शरीर में एलर्जी होने के साथ ही फलों में पाए जाने वाले प्राकृतिक पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे फल खाने से पेट दर्द, उल्टी-दस्त भी हो सकता है।

बैन के बावजूद बिक्री

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने फलों को कैल्शियम कार्बाइड से पकाने से पूरी तरह बैन किया है, मगर बाजारों में कैल्शियम कार्बाइड से पके आम, केला बेचे जा रहे हैं। मौसम में आ रहे बदलाव के कारण बीमार हुए लोगों को मौसमी फल खाने की सलाह डॉक्टर देते हैं। ऐसे लोग आम सहित अन्य फल खरीदकर खा रहे हैं, लेकिन ठीक होने की बजाय ये और बीमार हो जा रहे हैं।

लीवर कैंसर की आशंका

डॉक्टरों ने बताया कि आम को पकाने में उपयोग होने वाला कैल्शियम कार्बाइड वेल्डिंग के दौरान निकलता है, जिससे लोहा की वेल्डिंग की जाती है उसी गैस से बाजार में आम को पकाया जा रहा है। इस तरह के पके आम को लगातार खाने से लीवर कैंसर, गुर्दे तथा बड़ी आंत का कैंसर हो सकता है। इतना ही नहीं, शुरुआत में डायरिया, अल्सर, उल्टी, आंख दर्द, सांस में परेशानी, नींद कम आना आम बात है। जो बाद में भयावह रूप ले लेता है।

आम को पकाने के लिए किसी भी तरह का केमिकल यूज कर रहे हैं, तो उससे कैंसर का चांस बढ़ता है। एसिडिटी बढ़ सकती है, इरिटेशन हो सकता है। गैस्ट्रोएन्टराइटिस हो सकता है। लूज मोशन आदि भी होता है।

-डॉ राजन कुमार बर्णवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर