सिविल सर्जन ने रिपोर्ट नहीं देने वाले सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई का दिया निर्देश

-हाल ही में लावारिस हालत में दो नवजात बच्ची हुई थी बरामद

छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : आखिर क्यों अल्ट्रासाउंड सेंटर्स रिपोर्ट नहीं सौंप रहे ? क्यों उन्हें कार्रवाई का डर नहीं ? क्या लिंग जांच का काम चल रहा? क्या अभी भी कोख में बेटियां मारी जा रही हैं? ऐसे सवाल इसलिए सामने आ रहे क्योंकि अल्ट्रासाउंड चलाने वालों की मनमानी जारी है। हालांकि अब हेल्थ डिपार्टमेंट इस मामले में सख्त हुआ है और अब उम्मीद जगी है कि इन सेंटर्स की मनमानी पर बे्रक लगेगा। सिविल सर्जन डॉ। श्याम कुमार झा ने शुक्रवार को इस मामले की जांच के लिए बनी टीम को सख्त निर्देश दिया और रिपोर्ट जमा नहीं करने वाले अल्ट्रासाउंड संचालकों पर उचित कार्रवाई करने की बात कही है।

प्रत्येक महीने देनी है रिपोर्ट

हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद भी कुछ संचालकों द्वारा लगातार लापरवाही बरती जा रही है। जबकि सभी अल्ट्रासाउंड संचालकों को प्रति माह रिपोर्ट जमा करना अनिवार्य है। जिले में कुल 125 अल्ट्रासाउंड सेंटर्स है। इसमें अबतक सिर्फ 30 ने ही रिपोर्ट जमा किया है। बांकी बचे 95 को कोई चिंता नहीं है। यह लापरवाही सिर्फ एक महीने की नहीं है, बीते कई महीने से रिपोर्ट जमा नहीं करने की शिकायत मिल रही थी। जिसके कारण निदेशालय को भी रिपोर्ट आधा-अधूरा ही भेजा जाता रहा है। इसपर सख्त कदम उठाते हुए एमजीएम हॉस्पिटल व स्मृति सेवा सदन में गलत ढंग से संचालित अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को लीगल नोटिस जारी किया गया है। पंद्रह दिनों के अंदर दोनों से जवाब तलब किया गया है।

मिली दो नवजात बच्ची

सरकार के लाख प्रयास के बावजूद लोगों की बेटियां के प्रति मानसिकता नहीं बदल रही है। एमजीएम अस्पताल के शिशु रोग विभाग में दो लावारिश बच्चियां भर्ती है। दोनों के मां छोड़कर फरार हो गई है। एक स्वर्णरेखा ट्रेन की शौचालय में मिली थी तो दूसरी एमजीएम अस्पताल के शौचालय में। हालांकि इन बच्चियों को गोद लेने के लिए रोजाना आधे दर्जन लोग अस्पताल पहुंच रहें है। इसे देखते हुए शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन ने उपायुक्त को एक पत्र लिखकर बच्ची को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की अनुमति मांगी है। ताकि दोनों बच्चियों की सही ढंग से देख-भाल हो सके।

यह है नियम

पीसीपीएनडीटी एक्ट भ्रूण हत्या पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य अल्ट्रासाउंड सेंटरों में अवैध रूप से होने वाली भ्रूण जांच पर रोक लगाना है। इसके लिए जिला स्तर पर सिविल सर्जन के नेतृत्व में सलाहकार समिति बनायी गई है। इसमें एक नोडल पदाधिकारी के साथ ही शिशुरोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, वकील और समाजसेवी संगठन के सदस्य शामिल हैं। नियमानुसार किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर को प्रति माह अपने यहां होने वाले अल्ट्रासाउंड की पूरी रिपोर्ट पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति के पास जमा करानी होती है। रिपोर्ट जमा नहीं कराने की स्थिति में अल्ट्रासाउंड सेंटर का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के साथ ही उसे सील करने का प्रावधान है। वहीं भ्रूण जांच के साक्ष्य मिलने की स्थिति में संचालक पर केस भी दर्ज करने का प्रावधान

कोट ::

अल्ट्रासाउंड संचालकों की ओर से लगातार लापरवाही बरती जा रही है। इसे लेकर एमजीएम व स्मृति सेवा सदन को नोटिस जारी किया गया है। वहीं दूसरे केंद्रों पर भी उचित कार्रवाई करने को सख्त निर्देश दिया गया है।

- डॉ। एसके झा, सिविल सर्जन