-प्रशासन की पूरी कवायद के बाद भी नहीं बदले हालात

-स्कूली वैन और ऑटो में बदस्तूर जारी है ओवरलोडिंग

JAMSHEDPUR: लाख कार्रवाई के बाद भी शहर के स्कूली वैन और ऑटो में ओवरलोडिंग का खेल बदस्तूर जारी है। हड़ताल टूटे दो दिन भी नहीं हुए कि फिर से बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जाने लगा। तो क्या सारी कवायद स्कूली ऑटो व वैन का भाड़ा बढ़ाने के लिए रची गई थी? जिस ओवरलोडिंग को रोकने के लिए पूरा ड्रामा हुआ वह तो सबकुछ तय होने के बाद भी बदस्तूर जारी है। ऑटो वालों की हड़ताल और प्रशासन की घुड़की से कुछ बदला तो वह है बढ़ा हुआ भाड़ा। किराया बढ़ाने का एलान हो चुका है, लेकिन ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के लिए न पैरेंट्स तैयार हैं और न ही प्रशासन का इस पर सटीक पहरा है। प्रशासन ने अपना काम किया, स्कूल वाहन संचालकों ने भी अपना काम किया। यानी की पहले वाहन संचालकों व चालकों ने हड़ताल की। इसके बाद डीसी डॉ अमिताभ कौशल की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस दौरान डीसी ने वाहन चालकों को छात्रों को बैठाने से संबंधित आदेश जारी किया। इस आदेश के दो दिन बीत जाने के बाद भी फिर वहीं पुरानी वाली स्थिति पैदा हो गई। अधिकांश वैन और ऑटो में गुरुवार को ओवरलोडिंग देखी गई। ओवरलोडिंग के बावजूद पैरेंट्स से वैन व ऑटो चालकों ने दोगुना भाड़ा लेने का फरमान भी जारी कर दिया। आखिरकार भाड़ा बढ़ ही गया। लेकिन छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ जारी है। वैन व ऑटो चालक प्रशासन के निर्देश को लेकर संशय की स्थिति में हैं।

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वाहन अनुमति (छात्र संख्या) - बैठा रहे

मारुति ओमनी - 9- क्फ्

टाटा विंगर- क्9 - क्8

थ्री व्हीलर आटो रिक्शा-म्-9

ऑटो रिक्शा (विक्रम टैंपो)-9-क्ख्

टाटा मैजिक-क्0-क्फ्

टाटा अरिस-म्-9

टाटा सूमो-क्फ्-क्ब्

टोयोटा क्वालिस-क्0-क्ख्

म¨हद्रा मैक्सिमो-क्0-क्ख्

टाटा वेंचर- क्0-क्क्

(नोट : ये सभी संख्या ड्राइवरों के साथ है.)

भाड़ा बढ़वाने तक प्रशासन दिखाता है सक्रियता

अगस्त ख्0क्ब् की बात है। प्रशासन ने ओवर लोडेड स्कूल बस और ऑटो के खिलाफ कार्रवाई का बिगुल फूंका था। जमशेदपुर की जनता को लगा कि वाकई प्रशासन सक्रिय है। प्रशासन ने डंडा चलाया वैसे ऑटो चालकों के खिलाफ जो ड्राइविंग सीट पर सवारी बैठाकर चलते थे। हफ्ते भर यह ड्रामा चला। अंतत: आटो चालक इस शर्त पर ओवरलोडिंग न करने व ड्राइविंग सीट पर सवारी न बैठाने पर राजी हुए कि वे भाड़ा बढ़ाएंगे। प्रशासन ने रजामंदी दी। बस फिर क्या ऑटो वालों ने भाड़ा बढ़ाने में तनिक भी देर नहीं की। इस पूरे प्रकरण के कारण भाड़ा का बोझ तो जनता पर बढ़ गया, लेकिन ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगी। अभी भी ऑटो पर ड्राइविंग सीट पर तीन से चार बच्चे लटके दिखते हैं। प्रशासन ने अब मौन धर लिया। ऐसे में जनता जनार्दन क्यों न सोचे कि क्या वाकई प्रशासन सिर्फ भाड़ा बढ़वाने के लिए कार्रवाई का डंडा चलाता है, क्योंकि ओवरलोडिंग न हो, इसकी मॉनिट¨रग कोई नहीं करता।

सितंबर में तेल के दाम बढ़ने पर बढ़ा था किराया

ऑटो चालकों ने तेल की कीमत बढ़ने का हवाला देते हुए सितंबर ख्0क्ब् में किराया बढ़ाया। मजे की बात यह है कि इस बढ़ोतरी को तब भी बरकरार रखा गया जब फरवरी ख्0क्भ् में तेल के दाम घटे। ऑटो चालकों के इस रवैये के खिलाफ फरवरी ख्0क्भ् में जमशेदपुर की जनता ने चालकों को गुलाब फूल भी सौंपा और विरोध प्रकट ि1कया था।

भोजपुरी नवचेतना मंच ने किया विरोध

स्कूली ऑटो व वैन चालकों द्वारा किराया बढ़ाने को लेकर पोस्टर व पंपलेट बांटा जा रहा है। इसकी शिकायत भोजपुर नवचेतना मंच के हेल्पलाइन नंबर 8ख्भ्ख्म्79क्79 पर बुधवार को मिली थी। इस मामले को लेकर गुरुवार को मंच के पदाधिकारियों व सदस्यों ने शिकायतकर्ता के साथ डीसी को अपना ज्ञापन, पंपलेट व पोस्टर के साथ सौंपा। ज्ञापन की जानकारी देते हुए मंच के प्रांतीय अध्यक्ष अप्पू तिवारी ने बताया है कि स्कूली ऑटो चालकों व वैन चालकों की मनमानी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में प्रशासन को इस बार कम से कम उन्हें सबक लेना चाहिए। डीसी से मांग की गई है कि मनमाना किराया वसूली पर रोक लगे। झूठे प्रशासनिक आदेशों का हवाला देकर पोस्टर बांटने वालों पर अविलंब कानूनी कार्रवाई की जाय। उन्होंने डीसी से मांग की है कि यथाशीघ्र निजी स्कूलों को बस सुपुर्द कर स्कूली स्तर पर परिवहन व्यवस्था शुरू की जाए।

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान ने डीसी को सौंपा ज्ञापन

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान ने डीसी को ज्ञापन दे कर सुझाव दिया है.ज्ञापन में बताया गया है कि कैसे जिला प्रशासन जेएलएनयूआरएम की बसों से लाखों रुपये की राजस्व की कमाई कर सकता है। डीसी को दिए ज्ञापन में संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर ने बताया है कि शहर में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या फ्भ् हजार है। इसमें से 7 हजार बच्चे को पैरेंट्स द्वारा स्कूल पहुंचाया जाता है। ख्8 हजार बचे हुए बच्चे टेंपू एवं स्कूली वैन में स्कूल जाते है और आते हैं। इन बच्चों से बसों के एवज में प्रति बच्चा भ्00 रुपया किराया हो तो इसमें फ्00 रुपये गाड़ी एवं चालक-खलासी, ईधन में खर्च और रखरखाव के लिए उपयोग होगा। ऐसा करने पर सरकार को हर माह भ्,म्0,000 रुपये हर माह का राजस्व की प्राप्ति होगी। यानि एक साल में इससे म्7 लाख रुपये की राजस्व की प्राप्ति होगी। इसके अलावा बच्चे सुरक्षित सफर कम खर्चे पर कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि अभी जिला प्रशासन के पास मात्र भ्0 बस है यानि ख्म्00 बच्चों को बस की सुविधा तत्काल मिल सकती है। इससे यह भी पता चलेगा कि बस सही सलामत चल सकती है या नहीं।