-हफ्ते भर में सात रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया सरसों का तेल

-डिमांड और सप्लाई के गैप से क्रिएट होता है क्राइसिस

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JAMSHEDPUR: बागबेड़ा की रहने वाली सुमन सिंह के किचन से अब पकौडि़यों की खुशबू नहीं आती। अब तो वो दाल की छौंक भी कभी-कभी ही सुनाई देती है। सुषमा ही नहीं बल्कि शहर के अधिकांश किचन का जायका तेल की बढ़ती कीमतों ने बिगाड़ दिया है। गोलमुरी की रहने वाली चंद्रकांता का कहना है कि सरसों तेल और रिफाइन की बढ़ती कीमत को वह रोक तो नहीं सकती है, इसलिए उन्होंने तेल की खपत कम कर दी है। सब्जियों को फ्राई करने के बजाय भाप पर बना रही हैं। उन्होंने बताया कि बहुत जरूरी होने पर ही तेल का यूज कर रही हैं।

क्9 रुपए महंगा हुआ तेल

सरसों तेल पिछले साल की तुलना में क्9 रुपए महंगा हुआ है। होलसेल प्राइस की बात करें तो साल ख्0क्ब् के जून में सरसों तेल की कीमत करीब 88 रुपए प्रति लीटर थी। फिलहाल इसकी कीमत क्07 रुपए पर लीटर है। एक सप्ताह के अंदर तेल के दाम में सात रुपए का उछाल आया है। जून के पहले हफ्ते में सरसों तेल की कीमत क्00 रुपए के आसपास थी। अभी मार्केट में अच्छे ब्रांड के तेलों की कीमत क्ब्भ्0 रुपए पर टीना है। व्यापारियों की मानें तो तेल का बाजार अभी थमा हुआ है। कुछ दिन पहले रेट ज्यादा अप एंड डाउन हो रहा था। टीना वाले तेल की कीमत में सिर्फ जून में भ्0 रुपए से अधिक की तेजी आई है।

कीमत बढ़ते ही होने लगता है शॉर्टेज

गल्ला व्यापारी बंटी जैन ने बताया कि सामान की कीमत बढ़ने पर उसकी क्राइसिस शुरू हो जाती है। होलसेल मंडियों में हल्ला होते ही दुकानदार सामान को दबाना शुरू कर देते हैं। यही होड़ खरीददारों में भी होती है। छोटे दुकानदार ज्यादा सामान खरीदना चाहते हैं। ऐसे में कुछ तो ऊपर से शॉर्टेज होता है कुछ डिमांड और सप्लाई के गैप से भी क्राइसिस क्रिएट होता है। भाव गिरते ही स्टॉकिस्ट प्रोडक्ट को बाजार में छोड़ देते हैं। हालांकि, अचानक ऐसा नहीं होता है। धीरे-धीरे गैप को भरने का प्रयास किया जाता है। बंटी जैन की मानें तो फिलवक्त सरसों तेल तीन रुपए पर लीटर डाउन पर चल रहा है। तेल की कीमतों में अचानक सात रुपए पर लीटर की वृद्धि हुई थी।

कोल्हू का तेल भी हुआ महंगा

बाजार में सरसों महंगा होने से कोल्हू का तेल भी महंगा हो गया है। विश्व भारती ऑयल मिल के प्रोपराइटर प्रदीप कुमार के अनुसार कोल्हू का तेल क्ख्भ् रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। पीला सरसों तेल की कीमत ख्ब्0 रुपए, तिल का तेल ख्00 रुपए तिसी का तेल क्क्0 रुपए और मूंगफली का तेल ख्भ्0 रुपए पर केजी के हिसाब से मिल रहा है। फिलहाल सरसों की होलसेल कीमत भ्8 रुपए प्रति केजी है।

मार्केट में ऐसे होता है तेल का खेल

सेलिंग प्राइस और प्रिंट रेट में अंतर ब्लैक मार्केटिंग का सबसे बड़ा कारण है। सरसों तेल और रिफाइन में भी इसका फायदा उठाते हुए व्यापारी चांदी काटते हैं। एग्जांपल के तौर पर क् लीटर के सरसों तेल के पाउच को ले सकते हैं। नामी ब्रांड के मस्टर्ड ऑयल के क् लीटर पाउच पर क्फ्0 रुपए प्रिंट है। लेकिन रिटेल मार्केट में इसकी कीमत क्क्0 रुपए है। मार्केट में मस्टर्ड ऑयल की क्राइसिस होते ही शॉपकीपर बढ़ी कीमतों में बेचते हैं। जबकि उनकी खरीदारी पहले की होती है। ऐसी स्थिति में ब्लैक मार्केटिंग पर कंट्रोल कर पाना मुश्किल होता है। यही हाल रिफाइंड ऑयल की भी है। मार्केट में एक नामी ब्रांड के रिफाइंड ऑयल के पाउच पर क्09 प्रिंट है, जबकि रिटेल प्राइस 88 रुपए है। जाहिर सी बात है कि रिटेल और प्रिंट प्राइस में इतना बड़ा गैप हो तो काला बाजारी से इनकार नहीं किया जा सकता है।

क्या कहती हैं महिलाएं

हर महीने तीन से चार केजी खाद्य तेल की खपत होती है। पिछले दिनों तेल की कीमत में इजाफा हुआ है। इसलिए अब सरसों तेल का यूज कम कर रही हूं। पिछले क्भ् दिनों से घर में एक बार भी पकौड़े नहीं बने।

-सुमन सिंह

हमारे समय में क्0 रुपए किलो कड़ुआ तेल मिलता था। एक लीटर तेल में हमलोगों का पूरा महीन निकल जाता था। हमारे परिवार में सात से आठ लोग हुआ करते थे। लेकिन आजकल पता नहीं क्यों खाद्य तेल का इतना इस्तेमाल करते हैं।

-सुदामा सिंह

किचन में छनाई-गराई में ब्रेक लग गया है। रिफाइंड और मस्टर्ड ऑयल मिलाकर ब् लीटर तेल की खपत हो जाती है। बच्चों का लंच बनाना होता है। इसलिए तेल की खपत को कंट्रोल नहीं कर सकती। लेकिन बढ़ती कीमत ने चिंता बढ़ा दी है।

-दुर्गा मिश्रा

किचन में तेल का यूज कम कर रही हूं। सब्जियों को ब्वॉयल कर बनाती हूं। इससे सब्जी को पकाने में तेल कम लगता है। तेल का कम यूज हेल्थ की नजर से भी अच्छा है। सरसों तेल में कैलेस्ट्रोल भी ज्यादा होता है।

-ममता मिश्रा

कूकर में सब्जियां बनाने से तेल की खपत कम होती है। इसके अलावा नॉन स्टिक के बर्तन में तेल का कम खपत होता है। मैं हमेशा से सरसों तेल के यूज पर कंट्रोल करते रही हूं। अब तो दाम भी बढ़ गया है।

-सबिता देवी

खाद्य तेलों पर सरकार को पूरी तरह से कंट्रोल रखना चाहिए। जमाखोरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए।

-रीना देवी

पहले घर में ब् से भ् केजी तेल की खपत होती थी। दाम बढ़ने के बाद अब फ् लीटर तेल खर्च करती हूं। ऑयली चीजों को बनाने से परहेज कर रही हूं।

-स्वीटी मिश्रा

तेल की ब्लैक मार्केटिंग में प्रिंट रेट और सेलिंग प्राइस के बीच का बड़ा गैप है। कई बार दुकानदार पुराने स्टॉक पर भी न्यू प्राइस चार्ज करते हैं। इसके कंट्रोल के लिए कोई उपाय करना चाहिए।

-श्वेता शालिनी

क्या कहते हैं व्यापारी

तेल का भाव अभी स्थिर है। कुछ दिनों पहले कीमत में उछाल आया था। फिलहाल भाव गिर रहा है। बुधवार को ही पर पाउच तीन रुपए भाव गिरा है।

-टिंकू गुप्ता, गल्ला व्यवसायी

क्या कहते हैं अधिकारी

इसेंसियल कॉमोडिटी एक्ट के तहत खाद्य तेल सहित अन्य खाद्य पदार्थो को डी रेग्युलेट कर दिया गया है। इस वजह से जिला प्रशासन के पास व्यापारियों के स्टॉक चेक का राइट नहीं है। हां यदि कोई दुकानदार जबरन क्राइसिस क्रिएट कर रहा है तो हम कार्रवाई करेंगे।

-आलोक कुमार, एसडीओ