हमले में पाकुड़ एसपी हुए शहीद
दुमका के काठीकुंड के पास नक्सलियों ने पाकुड़ के एसपी (2003 बैच के आईपीएस) अमरजीत बलिहार ट्यूजडे को हुए एक नक्सली एंबुश में शहीद हो गए। नक्सली हमले में एसपी, उनका ड्राइवर, उनके तीन बॉडीगार्ड समेत 7 जवान मारे गए। यह घटना दोपहर लगभग 3 बजे उस वक्त घटी जब वे दुमका से डीआईजी की क्राइम मीटिंग अटेंड कर वापस लौट रहे थे। हमले में दो जवान बबलू मुर्मू व संतोष कुमार मंडल इंजर्ड हुए हैं। यह घटना रांची से 400 किलोमीटर पहले अमरापा के जंगल में हुई। इस घटना की जानकारी मिलते ही सीआरपीएफ की दो कंपनियां वहां के लिए रवाना हो गई। इसके अलावा डीजीपी समेत पुलिस के सीनियर ऑफिसियल्स भी घटना स्थल की ओर रवाना हुए।

गुड़ाबांधा में भी जवानों को उड़ाने की थी साजिश
इस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट के गुड़ाबांधा थाना एरिया स्थित बाकड़ाकोचा व महेशपुर में सिक्योरिटी पर्सनल्स द्वारा चलाए जा रहे सर्च ऑॅपरेशन के दौरान ट्यूजडे को रोड के किनारे से 10 किलो के 2 केन बम रिकवर किए गए। इन्हें डिफ्यूज कर दिया गया। ये बम गुड़ा से महेशपुर जाने वाली मेन रोड पर बाकड़ाकोचा के पास लगाए गए थे। कहा जा रहा है कि ये केन बम जवानों को उड़ाने के लिए लगाए गए थे, लेकिन सिक्यारिटी फोर्स के अलर्ट रहने के कारण एक बड़ा हादसा टल गया। सर्च ऑपरेशन में सीआरपीएफ 193 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट पवन कुमार जोशी व इंस्पेक्टर दिनेश बर्थवाल सहित अन्य शामिल थे।

संथाल परगना था नक्सलियों का सेफ जोन
दुमका संथाल परगना एरिया में पड़ता है। इससे पहले संथाल परगना में इस तरह की बड़ी वारदात नहीं हुई थी। इस घटना के बाद से सभी दहशत में हैैं। संथाल परगना को नक्सली सेफ जोन के रूप में यूज करते थे, लेकिन अब यहां भी हमला कर उन्होंने अपना मंसूबा जता दिया है। डीएसपी नक्सल संध्यारानी मोहता कहती हैैं कि हाल के दिनों में पुलिस ने संथालपरगना में सर्च ऑपरेशन चलाया था और कई नक्सलियों की अरेस्टिंग भी की गई थी। इसके बाद से नक्सली बौखलाए हुए थे। हो सकता है कि इस बौखलाहट में ही उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया हो।

कहीं इसलिए तो मात नहीं खा जाते हैं जवान
कई बार सीनियर पुलिस ऑफिसियल्स व सीआरपीएफ अधिकारियों द्वारा जवानों को चेतावनी दी जाती रही है कि वे नक्सल एरियाज में पैदल ही विजिट करें। इसका कारण यह था कि आजकल नक्सली हेवी लैंड माइन का यूज कर रहे हैं, जिससे एंटी लैंड माइन व्हीकल तक डैमेज किए जा सकते हैं। पैदल चलने से इस तरह के ख्रतरे की पॉसिबलिटी कम होती है। इसके साथ ही यह भी पूरी तरह स्टैबलिश हो चुका है कि आम्र्स के मामले में नक्सली पुलिस से किसी तरह से कमतर नहीं हैं। नक्सलियों के पास मॉर्डन आम्र्स हैं, लेकिन पुलिस के पास अब भी उसकी कमी है।

State के 22 districts हैं पूरी तरह naxal affected
कुछ साल पहले तक कंट्री में नक्सल एक्टिविटिज काफी कम डिस्ट्रिक्ट्स तक फैली थी। तब कंट्री के केवल 60 डिस्ट्रिक्ट में नक्सली अपनी एक्टिविटज का संचालन करते थे। धीरे-धीरे वे और भी मजबूत होते गए और आज सिचुएशन यह है कि कंट्री के सैकड़ो डिस्ट्रिक्ट नक्सल अफेक्टेड है। अगर झारखंड की बात करें तो यहां के 24 में से 22 डिस्ट्रिक्ट पूरी तरह नक्सल अफेक्टेड हैं। वैसे बाकि 2 डिस्ट्रिक्ट भी इससे पूरी तरह अछूते नहीं हैं।

'ट्यूजडे को हुआ नक्सली हमला संथाल परगना की यह अब तक की सबसे बड़ी घटना है। हम नक्सलियों की धर-पकड़ के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। लातेहार में चल रहे सर्च ऑपरेशन से दबाव में आए नक्सलियों ने पुलिस का ध्यान डायवर्ट करने के लिए ही इस तरह की धिनौनी हरकत को अंजाम दिया है। हमारा इरादा कमजोर नहीं हुआ है और हम और दृढ़ता के साथ नक्सलियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.'
-राजीव कुमार, डीजीपी, झारखंड

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