-एमजीएम मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में खुलेगा वायरल डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी

-24 जून को एमजीएम पहुंचेगी आईसीएमआर की टीम jamshedpur@inext.co.in

JAMSHEDPUR : शहरवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। अब सभी तरह की वायरल बीमारियों की जांच और इलाज की सुविधा महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में होगी। इसके लिए इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के दो वैज्ञानिकों की टीम ख्ब् जून को शहर पहुंचेंगी। इनमें डॉ। यूसी चतुर्वेदी और डॉ। डीए गडकरी शामिल हैं। यह टीम अगले दो दिन तक वायरल डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी (वीडीएल) से संबंधित सभी पहलुओं पर जायजा लेगी।

तैयारी में जुटा हॉस्पिटल मैनेजमेंट

आईसीएमआर की टीम उपकरण, स्थान, कर्मचारी, सुविधा सहित अन्य चीजों का जायजा लेगी। इस रिपोर्ट के अधार पर केंद्र सरकार से एमओयू होगा। इसकी तैयारी में एमजीएम कॉलेज प्रबंधन अभी से ही जुट गया है। प्रिंसिपल डॉ। एएन मिश्रा ने इस मौके पर शामिल होने के लिए सभी विभागाध्यक्ष, सिविल सर्जन, मलेरिया पदाधिकारी, सर्विलांस पदाधिकारी, जिला टीबी पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारियों को पत्र लिखा है, ताकि इससे संबंधित सभी मसले पर विस्तार से चर्चा हो सके। माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ। एसी अखौरी ने बताया कि किसी भी बीमारी के नये वायरस की पहचान अब पहले से कम समय में हो जाएगी। इन लैब के जरिए क्षेत्रीय स्तर पर वायरस का हमला बढ़ने से रोकने की कोशिश की जाएगी।

अलग से होंगे कर्मचारी

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शुरू होने वाले वायरल डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी के लिए अलग से कर्मचारियों का चयन किया जाएगा। इसमें सीनियर रिसर्च फैलो, दो लैब टेक्नीशियन, मेडिकल रिसर्च आपरेटर सहित अन्य कर्मचारी होंगे। इन्हें केवल प्रोजेक्ट के लिए रखा गया है। इसमें सभी सुविधाएं होंगी।

दूसरी जगहों पर नहीं भेजने पड़ेंगे सैंपल

कोल्हान का आंकड़ा देखा जाए तो बीते पांच वर्षो में कई नए-नए वायरस पनपे हैं। स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफ्लाइटिस, चिकुनगुनिया, डेंगू सहित अन्य बीमारियों में प्रति वर्ष तेजी से इजाफा हो रहा है। इन वायरस की पहचान और जांच के लिए पहले सैंपल को दिल्ली स्थित एनसीडीसी और पुणे स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजा जाता है, जिससे जांच रिपोर्ट आने में करीब एक सप्ताह का समय लगता है। कई बार क्षेत्रीय स्तर पर बीमारी की पहचान और वायरस की प्रजाति के जैविक कारणों का इसलिए भी नहीं पता चल पाता, क्योंकि लैबारेटरी तक केवल वायरस से संक्रमित मरीज के ही सैंपल पहुंचते हैं। एमजीएम में जांच होने से बीमारी फैलने से पहले संक्रमण की जांच हो सकेगी और संक्रमण के कारणों का भी पता लगाया जा सकेगा।

इन बीमारियों की होगी जांच

- सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाली वायरस जैसे इंफ्लूएंजा ए और बी, एडिनोवायरस, रायनोवायरस, पोलियो और कोरोनोवायरस।

- आंतों के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस जैसे रोटा वायरस, कैलसी वायरस, नॉरवाल्क वायरस आदि।

- मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू, चिकुनगुनिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस, क्यासानूर वायरस सहित अन्य।

- खून और शरीर के जरिए होने वाला संक्रमण जैसे ईबोला, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, सी सहित अन्य।

शहर के लिए यह गर्व की बात है। अब जांच के लिए सैंपल दिल्ली, पुणे, कोलकाता सहित दूसरे राज्यों नहीं भेजना पड़ेगा। इस लैब में न सिर्फ पीलिया, डेंगू की जांच होगी, बल्कि स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू जैसे गंभीर बीमारियों की जांच व रिसर्च मुमकिन होगी।

-डॉ। एसी अखौरी, एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी, एमजीएम