पूरी कंट्री में बहस का मुद्दा बनी हाल में दिल्ली में हुई रेप की घटना के संदर्भ में वेडनेसडे के दिल्ली पुलिस के फॉर्मर पुलिस कमिश्नर अजय राज शर्मा ने भी अपने स्टेटमेंट में रेप की लगातार बढ़ रही घटनाओं से निपटने के लिए इव टीजर्स के खिलाफ सख्त से कार्रवाई करने पर बल दिया है। ऐसे समय में स्टेट के डीजीपी का यह बयान भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

Rape की घटनाओं पर एक नजर
सिटी सहित डिस्ट्रिक्ट में सिर्फ 6 महीनों में (मई से अक्टूबर तक) रेप के 32 मामले दर्ज हुए हैं। कई मामले तो ऐसे होते हैैं जो पुलिस के पास पहुंचते तक नहीं। इन घटनाओं में लगभग तीस परसेंट मामले ऐसे हैं जिनमें विक्टिम की उम्र 18 साल या उससे कम है। वहीं ऐसे मामलों में शामिल ज्यादातर एक्युज्ड विक्टिम के नेबर या रिलेटिव्स हैं। जहां तक रेप संबंधित मामलों के समाजिक पहलु की बात है तो अधिकांश ऐसे मामलों में देखा गया है कि एक्युज्ड पहले विक्टिम में मेंटनली टॉचर्र करते हैं यानि टीजिंग और मोलेस्टेशन रेप की पहली सीढ़ी होती है। जाहिर है अगर सोसायटी ऐसी घटनाओं पर नजर रखे तो रेप जैसी घटनाओं को काफी कम किया जा सकता है क्योंकि रेप एक हीनियस क्राइम के साथ ही साथ एक सोशल इवल भी है।

20 rapists को ही मिली सजा
अगर रेप की बात करें तो इस तरह के मामलों में या तो अरेस्टिंग नहीं होती है और अगर होती भी है तो आरोपी आसानी से बच निकलते हैैं।
एसएसपी अखिलेश झा कहते हैैं कि रेप के मामलों में काफी कन्विक्शन हुए हैं। जमशेदपुर सिविल कोर्ट के एक सीनियर एडवोकेट सुधीर कुमार पप्पू का कहना है कि इस वर्ष अब तक  20 से 25 रेपिस्ट को सजा हुई है जिसमें पुराने मामले भी शामिल हैं। इनमें से भी ज्यादातर मामले रूरल एरिया के हैं।

छेडख़ानी के मामले में नहीं हुई एक को भी सजा
सिटी स्थित वुमन पुलिस स्टेशन में छेड़खानी के अब तक 110 मामले रजिस्टर किए गए हैं लेकिन पुलिस अब तक किसी भी मामले में शामिल अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पायी है। जाहिर है पुलिस भी ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेती है जो ऐसे अपराधों में शामिल लोगों के मनोबल बढऩे का एक मेन रीजन है।

महिला पुलिस को मिलेगी training
छेडख़ानी व रेप की घटनाओं को लेकर पूरी कंट्री में उबाल है और महिलाएं इसका पूरजोर विरोध कर रही हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए स्टेट पुलिस विशेष तौर पर महिला पुलिस को स्पेशल ट्रेनिंग प्रोवाइड करने की प्लानिंग कर रही है। स्टेट के डीजीपी गौरीशंकर रथ ने भी इस बात की पुष्टि की है।

क्या कहता है कानून
-रेप केस में पुलिस स्टेशन में आईपीसी सेक्शन 376 के तहत केस दर्ज होता है तथा कोर्ट में भी इसी सेक्शन में केस चलता है।
-सेक्शन 376 के ए, बी, सी व डी क्लाउज में अभियुक्त के इंटेशन से संबंधित प्रोविजन्स हैं जिसका पुलिस द्वारा अक्सर बेजा इस्तेमाल होता है।  
-रेप हीनियस क्राइम की कैटेगरी में आता है।
-हर साल ऑन एवरेज डिस्ट्रिक्ट से   रेप के 20-25 मामले कोर्ट पहुंचते हैं।

कानून तो है, लेकिन उसके कई तोड़ भी हैं। आईपीसी के सब सेक्शन्स ए,बी,सी व डी का काफी बार पुलिस द्वारा गलत इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के मामलों से निपटने के लिए कानून में बदलाव लाकर उसे और भी सख्त किए जाने की जरुरत है तभी जाकर लागों को सही मायने में  जस्टिस मिल सकेगा।
सुधीर कुमार पप्पू, सीनियर एडवोकेट

इस तरह के मामलों में सोसायटी का रोल अहम होता है। लागों को गवाही के लिए आगे आना चाहिए, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके। छेड़खानी के मामलों को गंभीरता से निपटने के लिए पुलिसवीमेन को स्पेशल ट्रेनिंग प्रोवाइड करायी जाएगी। इस प्लान को जल्द ही अमल में लाया जाएगा।  
गौरीशंकर रथ, डीजीपी, झारखंड