-सरायकेला-खरसांवा डिस्ट्रिक्ट स्थित आरआईटी थाना के वर्गीडीह में होता है आयोजन

-पिछले 40 साल से यहां हो रहा ताड़का दहन और मेला का आयोजन

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JAMSHEDPUR: आरआईटी थाना एरिया स्थित बर्गीडीह में पिछले कई ब्0 साल से ताड़का का पुतला दहन किया जा रहा है। वर्गीडीह में श्रीश्री सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमिटी द्वारा वर्ष क्97भ् से पूजा का आयोजन किया जा रहा है। कमिटी के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी व फाउंडर निरंजन महतो के पुत्र मंतोष महतो ने बताया कि मेले में लोग एकजुट होते हैं। गांव की खुशहाली की कामना के साथ अंतिम दिन ताड़का दहन भी किया जाता है। इसके लिए ताड़का की प्रतिमा बनाने का काम सुबह से ही शुरू हो जाता है। इसके बाद शाम को पुतला दहन किया जाता है। पुतला दहन के बाद ही सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।

रोचक है कहानी

वहां रहने वाले विमल महतो ने बताया कि इस मेला की शरुआत स्वर्गीय निरंजन महतो ने की थी। उन्होंने बताया कि वर्ष क्9म्ब् से आयडा द्वारा एरिया में जमीन अधिग्रहण का काम किया जा रहा था। इस दौरान आस-पास के गांवों की जमीन इंडस्ट्री के लिए एक्वायर की जा रही थी। उस वक्त वर्गीडीह, कृष्णापुर और राहरगोड़ा के लोग एकजुट हुए। इनका नेतृत्व निरंजन महतो ने किया था। तात्कालीन एमएलए बागुन सुंब्रई का भी उन्हें साथ मिला था। वे लोग लोगों की जरूरत, शादी-विवाह जैसे फंक्शन के लिए खाली स्पेस की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं मिल रहा था। इसके लिए लंबी लड़ाई चली और अंत में वर्गीडीह में करीब ब्8 एकड़ जमीन छोड़ी गई।

मांगी थी मन्नत

जानकारी के मुताबिक जमीन के लिए लोगों ने मन्नत मांगी थी कि अगर जमीन छोड़ी जाती है तो यहां सरस्वती पूजा का आयोजन होगा और मेला भी लगाया जाएगा। मेला लगाने का मकसद लोगों को एकजुट रखना था। इसके बाद से यहां हर साल सरस्वती पूजा का आयोजन होता है और मेला भी लगाया जाता है। यहां हर साल लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। यहां करीब एक सप्ताह तक सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।

अपनी जमीन बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी थी। इसके लिए मन्नत भी मांगी गई थी और तब से यहां पूजा और मेला का आयोजन किया जा रहा है। हर साल गांव की सुख-शांति के लिए ताड़का का पुतला भी जलाया जाता है।

मंतोष महतो, ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी

जमीन को आयडा द्वारा एक्वायर किया जा रहा था। काफी लंबी लड़ाई के बाद लोगों की जीत हुई। उसके बाद से ही यहां मेला का आयोजन किया जा रहा है। मेला के अंतिम दिन सुख-शांति की कामना के लिए ताड़का दहन किया जाता है।

असीत महतो

यहां के लोग वर्ष क्9म्ब् से ही जमीन की लड़ाई लड़ रहे थे। बाद में जमीन की लोगों के पक्ष में डिग्री हुई। इसके बाद से यहां मेला व पूजा का आयोजन किया जा रहा है।

-विमल कुमार महतो, बुजुर्ग